धार्मिक स्थल पराशर के निकट ही समुदाय विशेष के लोगों द्वारा बनाया गया ढांचा लोगों के विरोध के चलते गिरा दिया गया। देव समाज, स्थानीय लोगों और प्रशासन के हस्ताक्षेप के बाद संबंधित समुदाय ने वीरवार को स्वयं ही हटा दिया। हिंदू समुदाय की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी पराशर ऋषि की इस तपोस्थली से इस ढांचे के हटने के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है।
बीते कुछ समय से धार्मिक पर्यटन स्थल पराशर में एक समुदाय विशेष द्वारा मकाननुमा एक ढांचा तैयार करने की सूचनाऐं मिल रही थींं। पराशर ऋषि देवता कमेटी और स्थानीय लोग इस ढांचे के निर्माण को लेकर चिंता जाहिर करते रहे। स्थानीय लोगों का आरोप है कि समुदाय विशेष के लोग इस ढाचे के नाम पर अपने धार्मिक स्थल का निर्माण कर रहे हैं और इस ढोंचे के बनते ही यहां समुदाय विशेष से संबंध रखने वाले बाहरी लोगों का आना-जाना और कुछ अन्य गतिविधियां भी शुरु हो गई थी।
मामला तब और भी बिगड़ गया जब कुछ लोगों ने गूगल पर इस ढांचे को समुदाय विशेष का धार्मिक स्थली के रूप में इंगित कर दिया। भडक़ेस्थानीय लोगों का आरोप रहा कि डीपीएफ भूमि में किसकी अनुमति से समुदाय विशेष यह ढांचा बना रहा है। मामला प्रशासन तक पहुंचने के बाद इस मामले का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन ने अधिकारियों को मौके पर जाकर वस्तुस्थीति देखने के आदेश दिए। प्रशासन की हलचल देखकर और स्थानीय लोगों के विरोध के बाद वीरवार को समुदाय विशेष के लोगों ने स्वयंं ही इस ढांचे को हटा लिया।
पराशर देवता कमेटी के प्रधान बलवीर ठाकुर ने समुदाय विशेष के लोगों द्वारा इस ढांचे को स्वयं हटा लिए जाने का स्वागत किया है और कहा कि पिछले कुछ समय से पराशर क्षेत्र में समुदाय विशेष के लोगों द्वारा पशुओं को चराने के दौरान आश्रय के लिए बनाये जाने वाले दड़बों की संख्या बहुत बढ़ गई है। यह लोग इन दड़बों को बनाने के लिए दर्जानों पेड़ोंं की बलि दे रहे हैंं।
वन विभाग सोया हुआ है और राजस्व विभाग भी जगह जगह बनाये जा रहे इन दड़बों पर नियंंत्रण नहींं रख पा रहा है। इसके चलते हिंंदू धर्मस्थली पराशर क्षेत्र पर खतरे के बादल मंंडराने लगे हैं। इधर, जिलाधीश मंडी अरिंदम चौधरी का कहना है कि प्रशासन की छानबीन में पराशर के नजदीक किए गए इस निर्माण में मस्जिद का बनाया जाना नहीं पाया गया है।
उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले प्रशासन को इस शिकायत को लेकर एक अपुष्ट विडियो प्राप्त हुआ था जिसकी जांच के आदेश राजस्व विभाग को दिए गए थे। विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक निर्मित दड़बे में मस्जिद के सचालन की शिकायत सही नहीं पाई गई।
हालांकि जांच में पाया गया कि संबंधित दड़बा राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं है। वन विभाग को इसकी जानकारी दे दी गई और इस मामले में वन विभाग ने आगामी कार्रवाई अमल में लाई है।