शिमला में सीटू, हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, डीवाईएफआई, एसएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच ने अपनी मांगों औऱ तीन किसान विरोधी कानूनों को लेकर संघर्षरत किसानों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया है। इन संगठनों ने केंद्र और हरियाणा सरकार द्वारा किये जा रहे किसानों के बर्बर दमन की कड़ी निंदा की है। किसानों के आंदोलन के समर्थन में प्रदेश भर के मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों द्वारा राज्यभर में प्रदर्शन करके किसानों के साथ एकजुटता प्रकट की गई। इस दौरान हिमाचल के 11 जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किए गए।
हिमाचल किसान सभा के वित्त सचिव सत्यवान पुंडीर ने कहा है कि मोदी औऱ खट्टर की भाजपा सरकारें किसानों को कुचलने पर आमादा हैं जोकि बेहद निंदनीय है। इन कानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा को समाप्त कर दिया जाएगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी, कालाबाजारी और मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। इससे बाजार में खाद्य पदार्थों की बनावटी कमी पैदा होगी और खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे। कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी-विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी।