जिला कुल्लू की ऊंची चोटियों पर हो रही बर्फबारी से कुल्लू-मनाली के नदी-नालों में पानी का बहाव निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसके चलते नदी-नालों पर बने हाइडल पावर प्रोजेक्टों का उत्पादन काफी गिर गया है। धौलाधार पर्वत शृंखला से निकलने वाले नदी-नालों में पानी की कमी से जहां इनके किनारे लगे पावर प्रोजेक्टों का उत्पादन 20 फीसदी तक रह गया है वहीं पीर पंजाल पर्वत शृंखला से निकलने वाले नदी-नालों का पानी भी इतना घट गया है कि बिजली उत्पादन 80 फीसदी तक गिर गया है।
राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत दिल्ली हिमाचल से बिजली खरीद कर आपूर्ती करता है। अब जिस तरह से उंची चोटियों पर बर्फबारी हो रही है उससे हिमाचल सहित इन राज्यों के लोगों को बिजली की दिक्कत झेलनी पड़ सकती है।
आने वाले दिनों में बर्फबारी के चलते तापमान में और कमी आने से बिजली उत्पादन और कम हो सकता है। मनाली में चल रहे 192 मेगावाट के एडी हाइड्रो प्रोजेक्ट के प्रोडक्शन मैनेजर सूर्यकांत चेहल ने बताया कि पहाड़ों पर हुई ताजा बर्फबारी से एलाइन दुहांगन नाले के पानी का बहाव प्रभावित हुआ है।
इसके चलते आजकल 80 फीसदी उत्पादन गिरकर महज 19 मेगावाट ही रह गया है। कंचनजंगा पावर प्रोजेक्ट के मैनेजर मनोज ने बताया कि इन दिनों पानी के बहाव में आई कमी के चलते प्रोजेक्ट का उत्पादन मात्र बीस फीसदी ही रह गया है।
वहीं, 5 मेगावाट की क्षमता वाले केकेके पावर प्रोजेक्ट के ईओ सतीश पटियाल ने कहा कि उत्पादन बीस फीसदी तक सिमट गया। सतीश पटियाल ने बताया कि नियमानुसार दस फीसदी पानी लोगों के लिए छोड़ना जरूरी होता है। ऐसे में ग्रामीणों को जरूरत पड़ने पर कई बार प्रोजेक्ट की टरबाइन बंद कर प्रोडक्शन रोकने तक की नौबत आ जाती है।