पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन का आज दूसरा दिन है। दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि आज का दिन हिमाचल के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ने वाला है। आज के दिन को देश की संसदीय और लोकतांत्रिक प्रणाली को मंज़बूत करने और इसको नई दिशा देने के रूप में याद किया जाएगा। अनुराग ने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाएं जन हित से लेकर उनका समाधान के लिहाज से सबसे बड़ा मंच है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि पिछले कुछ सालों से हमारी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यप्रणाली में बदलाव आया है। विपक्ष के रवैये पर तंज कसते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि आजकल देखने को मिलता है कि जहां लोगों के पास तथ्य और तर्क खत्म हो जाते हैं तो वे सदन के अंदर कागज फाड़कर, टेबल पर नाचकर सदन को शर्मशार करने का काम करते हैं। सदन के भीतर शोर-शराबा और पेपर फाड़ने जैसी घटनाओं से बचना चाहिए। क्योंकि कागज तो सड़कों पर भी फाड़े जा सकते हैं, सदन चर्चा करने के लिए होता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिमला में सौ सालों के इस गौरवशाली इतिहास से सीख लेते हुए हमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को श्रेष्ठ और सबसे प्रभावशाली बनाने के लिए अपनी अपनी भागीदारी निभानी है। उन्होंने का कि आज़ादी के 75 वर्ष और हिमाचल अपनी गोल्डन जुबली मना रहा है। आज हम संसदीय प्रणाली के सौ साल पूरे कर रहे हैं ये मौका सबसे महत्वपूर्ण है। इस मुकाम तक पहुंचने में अनेकों लोगों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
अनुराग ने कहा कि आज वक्त है कि देश के लिए लैंडमार्क फैंसलों को जिनका देश के संसदीय परंपराओं और लोकतंत्र की मजबूती के लिए अमूल्य योगदान है उनको कम्पायल कर आने वाली पीढ़ियों के लिए पढ़ने समझने के लिए प्रस्तुत किया जाए। हमें संसदीय परंपराओं को युवा पीढ़ी को समझाने के मकसद से स्कूल कॉलेजों और पंचायती राज संस्थाओं तक ले जाने का काम भी साथ ही करना चाहिए।