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हिमाचल में आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर महिलाओं का बढ़ा ग्राफ, 452 मामले हुए दर्ज

पी. चंद, शिमला |

हिमाचल प्रदेश में 2015 से लेकर जून 2020 तक धारा 306 यानी आत्महत्या के लिए उकसाने पर प्रदेश में 452 मामले दर्ज हुए। पुलिस के आंकड़ों की माने तो इन वर्षों में 348 महिलाओं ने आत्महत्या कर ली। जबकि 104 पुरुषों ने इस दौरान मौत को गले लगाया। साल 2018 में 91 लोगों ने आत्महत्या की, 2019 में 73 लोगों ने जबकि 2020 में अभी तक 6 माह में ही 42 ने आत्महत्या कर ली है। इनमें 2018 में 18 पुरुषों के मुक़ाबले 73 महिलाओं ने आत्महत्या की, 2019 में 12 पुरुषों के मुक़ाबले 61 महिलाओं ने मौत को गले लगाया जबकि 2020 में 13 पुरुषों के मुक़ाबले 29 महिलाओं ने आत्महत्या की।

पुरुष आयु वर्ग के 18 साल तक के युवकों ने साढ़े पांच साल में 6 ने आत्महत्या की, 18 से 35 साल तक के 45 व्यक्तियों ने, 35 से 50 आयु वर्ग के 40 ने और 50 से ऊपर 13 ने आत्महत्या की। चोंकाने वाला आंकड़ा 18 साल की युवतियों का है क्योंकि साढ़े पांच सालों के दौरान 253 युवतियों ने आत्महत्या कर ली। 18 से 35 साल की 73 महिलाओं ने, 50 से ऊपर 9 महिलाओं ने आत्महत्या कर ली। इन आत्महत्याओं में 7 किसान, 24 मज़दूर, 30 छात्र, 279 गृहिणियां 13 सरकारी कर्मचारी 39 निज़ी कर्मचारियों, 5 व्यापारियों और 55 अन्य की शामिल है।

इनमें एक आंकड़ा ये है कि फाइनेंसियल मैटर की वजह से 12 लोगों ने, शादी की वजह से 178 ने, पारिवारिक समस्या से 96 ने, बेरोजगारी के कारण 3, स्वास्थ्य की वजह से 2, परीक्षा में फेल होने पर 3 ने, प्रेम प्रसंग के चलते 25 और अन्य कारणों से 133 ने आत्महत्या कर ली। इसमें गृहिणीयों ने ही सबसे ज़्यादा आत्महत्या की। जिनको ससुराल वालों ने तंग कर आत्महत्या करने को मजबूर किया।

आत्महत्याओं में 174 सीआरपीसी में 3260 मामले दर्ज हुए।  जिनमें 2209 पुरुष और 1051 महिलाओं के मामले दर्ज हुए। 2018 में 218 महिलाओं के मुक़ाबले 476 पुरुषों ने आत्महत्या की। कुल 694 मामले दर्ज़ हुए, 2019 में दर्ज हुए कुल 636 मामलों में 213 महिलाओं के मुकाबले 423 पुरुषों ने आत्महत्या की। जबकि 2020 में जून तक कुल 349 आत्महत्याओं में से 233 पुरुषों और 116 महिलाओं ने आत्महत्या की। इनमें सबसे ज़्यादा 789 आत्महत्या 35 से 50 आयु वर्ग के पुरुषों ने की। जबकि महिला वर्ग में 18 से 34 आयु वर्ग के 505 महिलाओं ने सबसे ज्यादा मौत को गले लगाया।

इन आत्महत्याओं में 145 किसान, 815 मज़दूर, 365 छात्र, 720 गृहिणी, 92 सरकारी कर्मी, 313 निज़ी कर्मचारी,140 व्यापारी और 670 अन्य शामिल हैं। इनमें फाइनेंसियल कारणों से 13 लोगों ने आत्महत्या की, 469 ने शादी की वजह, 446 ने पारिवारिक कारणों से, 85 ड्रग एब्यूज के कारण, 98 बेरोजगारों ने, 440 स्वास्थ्य कारणों से, 65 ने परीक्षा में असफ़ल होने की वजह से, 169 प्रेम ने प्रसंग और 1475 आत्महताएं अन्य वजहों से आत्महत्या की। यानी कि खुश कोई वर्ग नही है हर वर्ग के लोग आत्महत्या कर रहे है। फ़र्क सिर्फ कम ज्यादा आंकड़े का है। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि गृहिणी और मज़दूर ने ज्यादा आत्महताएं कर रहे हैं।