देश में किसान सबसे बड़े खेती के संकट से जूझ रहा है। पिछले 21 साल में देश में 3 लाख तीस हजार किसानों ने आत्महत्याएं की। इन आत्महत्याओं का कारण उचित समर्थन मूल्य का न मिलना है। जिसको देखते हुए किसानों की आय पर नज़र रखने के लिए आयोग की स्थापना होनी चाहिए। हिमाचल फल सब्ज़ी उत्पादक संघ के बैनर तले कृषि विशेषयज्ञ डॉ देवेन्द्र शर्मा ने शिमला में इस बात की जानकारी दी।
देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि हर 41 मिनट में एक किसान आत्महत्या करता है। पंजाब में 2000 से लेकर अब तक 16000 किसानों ने आत्महत्या की। इन आत्महत्याओं का कारण उचित समर्थन मूल्य का न मिलना है। जिसको देखते हुए किसानों की आय पर नज़र रखने के लिए आयोग की स्थापना होनी चाहिए।
20 हजार सालाना है आय
2016 में किसान की औसतन आय 20000 सालाना हैं। जिससे पता चलता है कि खेती कितने बड़े संकट से जूझ रही है। 3400 पंजाब के किसान की मासिक आय है। अब गुजरात के झटके के बाद अगले सत्र में केन्द्र सरकार कदम उठा सकती है।
इरीगेशन की समस्या, MSP तय नहीं होना
खेती की दुर्दशा के लिए इरीगेशन सबसे बड़ी समस्या है। पंजाब में 98 फीसदी इरीगेशन वाली भूमि है बावजूद इसके किसान आत्महत्या कर रहा है। न्यूनतम समर्थम मूल्य तय होना चाहिए। मध्य प्रदेश में नुकसान की भरपाई के लिए भावअंतर योजना शुरू की है। पंजाब भी इस योजना को शुरू करने जा रहा है। हिमाचल में भी इस योजना को शुरू किया जाना चाहिए। 1280000 करोड़ फार्म थेफ्ट के तहत किसानों को चूना हर साल लगाया जाता है। सरकार इस तरह सरकारी कर्मियों को करोड़ों रुपये देती है किसानों को भी सरकार पैसा मुहैया करवाए। कर्मचारी एक फीसदी है जिनको सरकार खुश करती है जबकि 52 फीसदी किसान के लिए धन का उचित प्रावधान नहीं है।
हिमाचल में भी पराली जलाने की समस्या
दिल्ली,हरियाणा, पंजाब में ही पराली जलाने की समस्या नहीं है। बल्कि हिमाचल भी इसकी चपेट में है। सेब की प्रुनिग को जलाने के लिए बागवान आग लगा रहे हैं। जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।