तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने गुरूवार को इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक संवाद सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम चीन से स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे है। बल्कि हम चीन से अधिक विकास मांगते है। हम चीन के साथ रहना चाहते है। तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा कि तिब्बत की एक अलग संस्कृति और अलग लिपी है। चीनी लोगों को अपने देश से प्यार है और हम अपने देश से प्यार करते है।
दलाई लामा ने आगे कहा कि चीन को तिब्बती संस्कृति और विरासत का अवश्य सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा कहा कि तिब्बत से कई प्रमुख नदियां जैसे यांग्त्ज़े से सिंधु नदी बहती है। तिब्बती पठार की देखभाल केवल तिब्बत के लिए ही नहीं बल्कि अरबों लोगों के लिए ही जरूरी है। इसके साथ ही दलाई लामा ने भारत की धार्मिक सहिष्णुता की भावनाओं की सराहना भी की। चीनी लोगों की तुलना में भारतीय लोगों के आलस्य का औसत जयादा है।
दलाई लामा ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि भारतीय लोग आलसी है लेकिन यह जलवायु के कारण हो सकता है। भारत की तारीफ करते हुए इसे स्थिर देश की संज्ञा दी और कहा कि यह विश्व स्तर पर एक भूमिका निभा सकता है।भारत के विभिन्न परम्पराओं के लोग एक साथ रहते है जो कि भारत की विरासत व संस्कृति को दिखाता है। गौरतलब है कि चीन व तिब्बत के बीच काफी घनिष्ठ संबंध रहे है। लेकिन कई बार इनके बीच में संघर्ष की स्थिति भी बनी है।