शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि पालमपुर कृषि विश्ववविद्यालय में सरकार द्वारा टूरिस्ट विलेज खोलने की बात करना हास्यास्पद है। अब सरकार की नज़र कृषि विश्वविद्यालय की ज़मीन पर है।
कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि से जुड़े शिक्षण-प्रशिक्षण और अनुसंधान कार्य करने दे तो मेहरबानी होगी। सरकार टूरिज्म विलेज बनाना चाहती है तो बनाए, स्वागत है लेकिन कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए संस्थानों में इस तरह के प्रयोग करने की बात दुर्भाग्यपूर्ण है।
भारत की खाद्यान्न के क्षेत्र में देश को आत्म निर्भर बनाने में कृषि विश्वविद्यालयों के योगदान को ध्यान में रखें और ऐसे संस्थानों को इस तरह से विकसित करने पर ध्यान दे जिससे वह कृषि के क्षेत्र में ऐतिहासिक अनुसंधान करें जो मानवता के लिए वरदान हो।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ऐसी ऐसी योजनाएं ला रही है जिसका समर्थन किसी भी हाल में नहीं किया जा सकता है। पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में सरकार के टूरिज्म विलेज बनाने का फ़ैसला भारतीय जनता पार्टी को स्वीकार्य नहीं है। इसके लिए सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगी। देश-दुनिया में जहां भी कृषि से जुड़े शोध संस्थान हैं, सभी के पास पर्याप्त भूमि है। कृषि विश्वविद्यालयों में ज़मीन की आवश्यकता होती है। एक-एक शोधार्थी को अपने शोध कार्यों के लिए बड़े-बड़े भूभाग की लंबे समय तक आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में मुख्यमंत्री को अगर लग रहा है कि पालमपुर के कृषि विश्वविद्यालय में बहुत ज़मीन है तो कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कृषि से जुड़े नए विभाग खोले, शोध केंद्र खोले। जो मानवता और हमारे भविष्य को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सके।
जयराम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ़ केंद्र सरकार कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान को और भी उन्नत बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है दूसरी तरफ राज्य सरकार कृषि विश्वविद्यालयों में अनुसंधान के कार्य को हतोत्साहित कर रही है। केंद्र सरकार जलवायु के अनुकूल क़िस्मों के अनुसंधान और विकास पर ज़ोर दे रही है। 32 कृषि और 109 बाग़वानी की उच्च पैदावार वाली क़िस्मों को जारी करके कृषि उत्पादकता को बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है। दलहन, तिलहन, श्री अन्न के क्षेत्र में देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए कार्य कर रही है। कृषि क्षेत्रों के विकास और अनुसंधान को मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट की पहली प्राथमिकता के तौर पर आगे बढ़ा रही है। तो राज्य सरकार कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य कर रही संस्थाओं में ऐसी व्यावसायिक गतिविधियां शुरू करना चाह रही है जिससे कृषि शोधकार्य प्रभावित होते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है। सरकार इस तरह के फ़ैसलों के बाज़ आए।