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हिमाचल के ‘डॉ कोटनिस’ माने जाने वाले डॉ जयदेव सिंह रेटोला का निधन

समाचार फर्स्ट |

हिमाचल के 'डॉ कोटनिस' माने जाने वाले डॉक्टर जयदेव सिंह रेटोला का निधन हो गया है। शनिवार को चंडीगढ़ के PGIMER में  उन्होंने अंतिम सांस ली। रोहडू के शील गांव के रहने वाले डॉक्टर जयदेव ने साल 1983 में प्रदेश में अकेले प्लेग को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी।

1983 में बचाई थी कई जानें

साल 1983 में प्रदेश के रोहडू में कई लोग रहस्मय बीमारी से मर रहे थे। जिसे डॉक्टर जयदेव ने उजागर किया था कि लोग प्लेग से मर रहे है। कोई भी इस बात विश्वास नहीं कर रहा था। ऐसे समय में  डॉक्टर जयदेव ने अकेले ही कमान संभालकर लोगों का इलाज किया और कई जानें बचाई। 3 दशक बाद PGIMER की प्लेग पर रिसर्च में माना गया कि वो प्लेग ही था जिसकी पहचान डॉक्टर जयदेव ने उसी समय कर ली थी। 

लोग उन्हें 'डॉ कोटनिस' कहते थे

लोग उन्हें 'डॉ कोटनिस' कहकर पुकारते थे। लोगों उन्हें इस नाम से इसलिए  पुकारते थे क्योंकि 1938 के चीन- जापान युद्ध में भारत के 5 फिजिशियन, जिनमें  द्वारकानाथ शांताराम कोटनिस भी थे, को सहायता के लिए चीन भेजा था।  कोटनिस ने काफी दिनों तक वहां निस्वार्थ भाव से सेवाएं दी थी।

 

डॉक्टर कोटनीस को द्वितीय चीन-जापान युद्ध (1937-1945) के दौरान उनकी सेवाओं के लिए चीन में बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है। ज्ञात हो कि युद्ध के दौरान मेडिकल सेवाओं के लिए चीन की अपील पर भारत से जिन पांच डॉक्टर्स को भेजा गया था, कोटनीस भी उनमें शामिल थे।

चीन में अपनी सेवाओं के दौरान मात्र 32 साल की उम्र में डॉ कोटनिस की मृत्यु हो गई थी। घायल चीनी सेनिको की सेवा में लगे कोटनिस दिन-रात काम करते रहते थे, इस दौरान उन्हें मिर्गी का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। तबसे डॉक्टर कोटनिस को चीन में बहुत ही सम्मान के साथ याद किया जाता है।