कालका-शिमला हैरिटेज ट्रैक पर गाड़ियों की स्पीड बढ़ाने के कवायद रेलवे ने शुरू कर दिए है। स्पीड बढ़ाने को लेकर रेलवे पहला ट्रायल रविवार को सुबह से शुरू किया। तेज स्पीड में ट्रैक पर शिमला स्टेशन से रेल इंजन 9:30 बजे शोघी के लिए रवाना किया गया। टेक्निकल इंजीनियरों की टीम ट्रायल के दौरान ट्रैक ओर इंजन में उपस्थित रही। आगामी तीन दिनों तक शिमला से शोघी ओर शोघी से शिमला स्टेशन तक यह ट्रायल स्पीड को बढ़ाने को लेकर ट्रैक पर किए जाएंगे। अलग-अलग स्पीड में ट्रायल ट्रैक पर होंगे इसके सफल होने के बाद ट्रैक पर गाड़ियों की स्पीड बढ़ाई जाएगी। रेलवे का प्रयास है कि ट्रैक पर पर्यटकों के सफर को कम समय में पूरा किया जाए।
कालका-शिमला रूट पर ट्रेन विषम परिस्थितियों में चलती है। 96 किलोमीटर ट्रैक में 917 घुमावदार मोड़ है। इनमें कई ऐसे ट्रैक है जो 48 डिग्री के तीव्र घुमावदार वाले है। इसके अलावा 102 सुरंग, 988 पुल से ट्रेन गुजरती है। पूरा ट्रैक समुद्र से 2075 मीटर की ऊंचाई पर निर्मित है। ऐसे में अपनी तरह का यह पहला ट्रैक है जिस पर स्पीड बढ़ाना एक चुनौती है।
ट्रैक की कुल दूरी 96 किलोमीटर
ट्रैक पर कालका से शिमला तक के सफर को तीन घंटे में पूरा करने की के लिए ही यह ट्रायल करवाए जा रहे हैं। अगर ट्रायल सफल रहता है तो कालका-शिमला ट्रैक का सफर तीन घंटे में यात्री पूरा कर सकेंगे। कालका से शिमला तक के ट्रैक की कुल दूरी 96 किलोमीटर की है । इस दूरी को तय करने के लिए वर्तनाम समय में ट्रैक पर चलने वाली टॉय ट्रेन 4 से 5 घंटे का समय लेती हैं जो कि काफी ज्यादा है। इसे कम कर कम से कम तीन घन्टे करने का प्रयास इस तीन दिन के ट्रायल के दौरान किया जाएगा।
तीन दिनों तक होंगे ट्रायल
शिमला स्टेशन मास्टर प्रिंस शेठी ने बताया कि स्पीड को लेकर जो ट्रायल ट्रैक पर किया जा रहा है उसे अलग-अलग स्पीड में किया जाएगा। पहले 25 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा फिर 30 ओर फिर 35 की स्पीड में अलग अलग ट्रायल ट्रैक पर शोघी रेलवे स्टेशन से शिमला स्टेशन तक किया जाएगा। जिस स्पीड में ट्रेन ट्रैक पर सही तरीके से चलेगी उसी स्पीड को फाइनल किया जाएगा।ट्रायल के दौरान टीम भी ट्रैक पर मौजूद रहेगी जो सारी व्यवस्थाओं को जांचेगी। तीन दिनों तक लगातार ट्रायल ट्रैक पर होंगे। इनके सफल होने के बाद ही स्पीड बढ़ाने को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
बता दें की ट्रैक पर स्पीड को बढ़ाने को लेकर सबसे बड़ी जो चुनोती है वो है ट्रैक पर 48 डिग्री के तीखे मोड़ जिस पर ट्रेन के संतुलन खोने का डर है अगर इसमें तकनीक सफल होती है तो कालका से शिमला तक का सफर मात्र 3 घन्टे में पूरा हो पाएगा।