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कांगड़ा: तीन बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद भी गुमानाम की जिंदगी जी रहा राजवंश

<p>मैकेनिकल इंजीनियरिंग में राष्ट्रीय स्तर पर अनूठा काम कर प्रदेश का नाम रोशन करने वाले कांगड़ा जिला के अनसोली गांव निवासी एबी राजवंश ने सरकार और जिला प्रशासन से अपनी अनदेखी के चलते राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग करने का फैसला किया है। यह बही इंसान हैं जिन्होंने वर्ष 2005 में एक वर्ष के अल्पकाल में तीन बार लिम्का बुक ऑफ रिकार्डज में अपना नाम दर्ज करवा कर हिमाचल प्रदेश का नाम देशभर में रोशन किया था।</p>

<p>राजबंश जोकी मैकैनिकल इंजीनियरिंग में वर्ष 1988 बैच के डिप्लोमा प्राप्त हैं और उस के उपरांत उत्कृष्ट श्रेणी में एक वर्ष की अवधि का अप्परेंटिशिप प्रशिक्षण प्राप्त हैं। राजवंश का नाम रोजगार कार्यालय धर्मशाला में पंजीकरण के साथ वर्ष 1986 से दसवीं स्तर के रोजगार बारे पंजीकरण में मौजूद है और उनका रोजगार पंजीकरण आज तक वैध है। राजबंश का कहना है कि वर्ष 1983 से 2010-11 के दरमियान हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के सभी बिंगज में प्रत्येक मंडल स्तर पर विभिन्न स्तरों की भर्तियां दसवीं स्तर और डिप्लोमा स्तर पर की गई जिनमें पीड़ित राजवंश को वंचित रखा गया। इन भर्तियों को गुपचुप तरीके से किया गया था, और आज यह भर्तियां स्थाई हो गई है। इन भर्तियों में जहां राजवंश वंचित रहा तो दूसरी तरफ राजवंश के साथी जो कम योग्यता रखते थे, आज राजपत्रित स्तर के इंजीनियर बन गए है।</p>

<p>पीड़ित राजवंश ने पीडब्लयूडी विभाग धर्मशाला से यह जानकारियां आरटीआई के तहत प्राप्त की है और जानकारी में यह सामने आया है कि इन भर्तियों में चौथी और छठी पास कार्य निरीक्षक, आठवीं और दसबं पास मकैनिक और बीए और दसबी पास इलेक्ट्रिशन व इलेक्ट्रिशन ग्रेड-1 बनाए गए है। इस मामले को लेकर पीड़ित ने 8/7/1993 को माननीय प्रदेश उच नयायलय शिमला ने रिट संख्या 189/1993 शीर्षक एबी राजबंश बनाम हिमाचल सरकार व अन्य में कोर्ट से पीडबल्यूडी को यह आदेश हुआ था कि भविष्य में विभाग के द्वारा किसी भी स्तर की भर्ती वास्ते प्रार्थी राजबंश के नाम पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाए।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>गुमनाम की जिंदगी जी रहा राजवंश</strong></span></p>

<p>मैकैनिकल इंजीनियरिंग में राष्ट्रीय स्तर पर कुछ अलग काम करने वाले राजवंश ने लिम्का बुक में एक ही साल में तीन बार अपना नाम दर्ज करवाया लेकिन प्रदेश का नाम रोशन करने वाले इस व्यक्ति को आज गुमनाम की जिदंगी बसर करनी पड़ रही है। चोर दरवाजे से भर्तियां कर दी गई लेकिन राजबंश को एक साजिश के तहत भतिंयों से वंछित रखा गया। वर्तमान में राजबंश अपनी ऊपरी आयु सीमा पार कर चुका है, ऐसे हालात में बह जिस तिथि से रोजगार से वंचित किया गया था उससे समस्त सेवा एवं सेवानिवृति&nbsp; के लाभ की मांग कर रहा है।</p>

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