स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार ने मंगलवार को सुलह विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत थुरल के नलेहड़ गांव के शहीद हवलदार (सेना मैडल) जनक सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर उनके साथ शहीद के परिजन मौजूद थे। जनक सिंह राणा 6 सितंबर 1965 को महज 30 वर्ष की आयु में भारत पाक युद्ध में खेमकरन सेक्टर में शहीद हुए थे। शहीद जनक सिंह चार गरनेडियर में सेवारत थे। शहीद के पिता सन्त राम भी ब्रिटिश सेना में नायब सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। शहीद का बेटा कश्मीर सिंह राणा भी कप्तान रैंक से सेवानिवृत्त हुए हैं और इनका बेटा साहिल राणा भी सेना में कार्यरत होकर देश की सेवा कर रहा है।
परमार ने कहा की शहीदों की प्रतिमाएं लगाना गौरव की बात है। इससे युवा पीढ़ी को उनके द्वारा देश की रक्षा के लिए दिये गये बलिदान की जानकारी तो मिलती है। साथ ही उन्हें सेना में जाकर देश की सेवा करने की प्रेरणा भी मिलती है। उन्होंने सभी लोगों विशेषकर युवाओं से भारतीय सेना के वीर सैनिकों के जीवन से अनुशासन, समर्पण और प्रतिबद्धता की सीख लेने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारत के वीर सैनिक एक लक्ष्य लेकर कठिन परिस्थितियों में भी दुर्गम क्षेत्रों में अपने प्राणों व परिवार की परवाह किये बिना देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। हम सभी को उनकी बहादुरी से जीवन के लिए सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा भी हिमाचल प्रदेश से थे और कारगिल युद्ध के दौरान वीर सिपाहियों द्वारा प्राप्त किए चार परमवीर चक्रों में दो राज्य के वीर सपूतों ने हासिल किए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश हालांकि छोटा राज्य है और देवभूमि के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब इसे वीरभूमि के नाम से भी जाना जाने लगा है। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने वीरों की भूमि में जन्म लिया है। उन्होंने कहा कि शहीद सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों तथा सेवारत सैनिकों तथा स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा राष्ट्र को दी गई सेवाओं के लिए समस्त प्रदेशवासी उनके कृतज्ञ हैं। प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी, भूवपूर्व सैनिक और उनके परिजन सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें, इसके लिए प्रदेश सरकार ने अनेक योजनाएं चलाई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शहीदों के आश्रितों को करूणामूलक आधार पर रोजगार प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि अब यह लाभ अर्ध सैनिक बलों में हिमाचली शहीदों के आश्रितों को भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की सशस्त्र सेनाओं में अफसर बनने के लिए एसएसबी कोचिंग हेतु वर्तमान में दी जा रही एक मुश्त प्रोत्साहन राशि 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये की गई है।