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कांगड़ा: अब गोपालपुर चिड़ियाघर में दिखेगा शेरों का जोड़ा, वन मंत्री ने जनता को किया समर्पित

समाचार फर्स्ट डेस्क |

धौलाधार प्रकृति उद्यान (चिडियाघर) गोपालपुर को एशियाई शेर मिल रहे हैं। हीमल और अकीरा नाम का शेर जोडे़ को वन मंत्री गोविन्द ठाकुर ने आम जनता को समर्पित किया। यह शेरों का जोड़ा गुजरात के शक्कूरबाग चिडियाघर से वन्य प्राणी आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत गोपालपुर में 9 नवम्बर को लाया गया था और आवश्यक संगरोध अवधि के बाद अब इसे आम जनता के लिये समर्पित किया जा रहा है। नर शेर हीमल की आयु 9 वर्ष और मादा शेर अकीरा की आयु 5 वर्ष के करीब है। बब्बर शेर भारत वर्ष में गुजरात के जूनागढ़ और अमरोली जिलों में ही प्राकृतिक तौर पर पाये जाते हैं।

इसके अतिरिक्त हरियाणा के भिवानी चिडियाघर से भी दो चिंकारा प्रजाति के हिरण गोपालपुर चिडियाघर में लाये गये हैं और इन्हें भी आज ही वन मंत्री गोविंद ठाकुर ने जनता के लिये समर्पित किया। नर चिंकारा पवन व मादा चिंकारा वर्षा की आयु तीन-तीन वर्ष है इन दोनों प्रजातियों के वन्य प्राणियों के आने से गोपालपुर चिडियाघर में रौनक बढ़ गई हैं। वन मंत्री ने इस अवसर पर चिडियाघर के बेहतर रख-रखाव के लिये वन्य प्राणी विंग की सराहना की और कर्मचारियों व अधिकारियों को वन्य प्राणियों के संरक्षण का आहवान किया और अच्छा काम करते रहने के लिये प्रोत्साहित किया।

तेंदुआ और अन्य बिल्लियों के उपर लिखी पुस्तक का विमोचन
 
वन मंत्री गोविन्द ठाकुर ने आज धौलाधार प्रकृति उद्यान (चिडियाघर) गोपालपुर में डॉ. संजय कुमार धीमान द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘कैट्स आफ हिमालय’’ का विमोचन किया। डॉ. संजय कुमार धीमान अब तक 11 पुस्तकें लिख चुके हैं तथा वर्तमान में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (उड़न दस्ता) के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉ. संजय कुमार धीमान द्वारा लिखित पुस्तक में हिमालय क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश) में पाई जाने वाली अतिसुन्दर व दुर्लभ बिल्लियों जैसे बर्फानी तेंदुआ, सामान्य तेंदुआ, तेंदुआ बिल्ली, जंगली बिल्ली, लिंक्स रस्टी बिल्ली व घरेलु बिल्लियों के व्यवहार व रहने के ठिकानों व विलुप्ति के स्तर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

वन मंत्री ने लेखक के प्रयास की खूब सराहना की तथा सभी स्टेक होल्डर्स से अपील की है कि वह इन दुर्लभ बिल्लियों को बचाने के लिये हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किये जा प्रयासों में अपनी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे। उन्होंने ये भी कहा की कही ऐसा न हो की कही बहुत देर हो जाये तथा हमारी आने वाली पीढ़ियां इन दुर्लभ बिल्लियां की झलक के लिए तरसे।