मंदिर न्यास ज्यालामुखी की ओर से अधिकृत संस्कृत महाविद्यालय अब उस पर ही बोझ बन गया है। छात्रों की कम संख्या और भारी भरकम खर्च के कारण न्यास ने इसके संचालन के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। न्यास चाहता है कि महाविद्यालय बंद कर करोड़ों रुपये से बनाए गए भवन में नर्सिंग संस्थान चलाया जाए। इसके लिए न्यास खुद पूरा खर्च उठाने को तैयार है। इसलिए छात्रों व कर्मचारियों को चामुंडा स्थित संस्कृत महाविद्यालय में शिफ्ट किया जाना चाहिए। न्यास कर्मचारियों का आधा वेतन देने को भी तैयार है। अधिकारिक रूप से संस्कृत कॉलेज 34 साल से चल रहा है। वर्तमान में यहां छह छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
आपको बता दें कि संस्कृत कॉलेज ज्वालामुखी में 17 साल में 59 छात्र ही शास्त्री बने हैं। पांच साल में खर्च चार करोड़ रुपये हो गया है। वर्ष 2005 से 2021 तक विद्यार्थियों की संख्या कम होती गई और खर्च मां के खजाने पर भारी पड़ता रहा। 2005-06 में दो, 2006-07 में चार, 2007-8 में शून्य, 2008-9 में छह 2009-10 में नो. 2010-11 में सात, 2011-12 में सात, 2012-13 में आठ 2013 14 में चार, 2014-15 में तीन, 2015-16, 2016-17, 2017-18 2018-19 में शून्य और 2019-20 में आठ छात्रों को कोरोना के कारण प्रमोट किया गया है।
क्या कहते हैं न्यास के सदस्य
मंदिर न्यास के सदस्यों का कहाना है कि उन्होंने अपनी राय जिला प्रशासन को दे दी है। उपायुक्त निपुण जिंदल से भी ट्रस्ट की इस बारे में बात हुई है। वे चाहते हैं कि अब और पैसा बर्बाद न हो। यहां के छात्रों और स्टाफ को अन्य संस्कृत महाविद्यालय में शिफ्ट किया जाए।
वहीं, जब मामले पर डीसी कांगड़ा निपुण जिंदल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने संस्कृत महाविद्यालय ज्वालामुखी का निरीक्षण किया है। न्यास इसका भारी भरकाम खर्च उठाने से मना कर रहा है। यहां छात्रों की संख्या न के बराबर है। न्यास ने प्रस्ताव में कुछ सुझाव भी दिए हैं।