एक और जहां पिछले लंबे अंतराल से प्रदेश भर में शिक्षण संस्थान बंद पड़े हुए हैं वहीं ज़िला कांगड़ा के अति दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल में स्कूली बच्चों का हौंसला अफजाई के लिए जिला से चार अध्यापकों की टीम ने एक अनूठी मिशाल पेश का है। हालांकि ये टीम स्वेच्छा से बड़ा भंगाल गई थी लेकिन टीम द्वारा बच्चों को मेटीवेट करने के साथ साथ उनको शिक्षण संबंधी जानकारी भी मुहैया करवा कर लोटी है जिसकी क्षेत्र में प्रशंसा की जा रही है।
जानकारी मिली कि इन अध्यापकों ने बच्चों को लगभग चार दिनों तक उनकी पढ़ाई से संबंधित उनको ज्ञान परोसा, इसके साथ ही खेलकूद में भी बच्चों को प्रशिक्षण दिया। बड़ा भंगाल गए अध्यापकों की टीम में होशियार सिंह, मदन, इंद्रदेव कटोच व अविनाश कौशल ने बताया कि बच्चें उन्हें देख बहुत खुश हुए । उन्होंने कहा कि उनका जिला की सबसे दुर्गम घाटी माने जाने वाले बड़ा भंगाल में जाने का उद्देश्य केवल बच्चों को मोटीवेट करना था।
उन्होंने बताया कि बच्चों को बताया गया कि कैसे उनके अभिभावक भीषण परिस्थितियों में अपना गुजारा कर रहे हैं तो ऐसे में बच्चों का भी कर्तव्य है कि वे नशे से दूर रहें। वहीं बच्चों के अभिभावकों में इस बात का रोष था कि आधुनिकता के दौर में बड़ा भंगाल मूलभूत सुविधाओं से आज भी कोसो दूर है। अभिभावकों का कहना था कि आज प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा हर घर पाठशाला ऑनलाइन पढ़ाई करवा रही है लेकिन बड़ा भंगाल में ऐसी कोई सुविधा नहीं जिससे उनके बच्चे शहरी स्कूलों के बच्चों का मुक़ाबला कर सके। वहीं स्कूल के दो कमरों की दयनीय हालत, स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर व रेवन्यू में पटवारी की कमी को लेकर भी गाँववासियों में रोष व्याप्त रहा।
कोरोना वायरस का भय नहीं देवी देवताओं पर है पूरा विश्वास
आधुनिकता के दौर में जहां लोग बीमारी होने पर सरकारी या निजी अस्पतालों का रूख करते हैं वहीं दूसरी और बड़ा भंगाल के लोग आज भी देवी देवताओं पर भरोसा करते हैं। गांववासियों का कहना था कि कोरोना के बारे में उन्होंने कुछ सुना तो है लेकिन जब भी गांव में कोई आपदा आन पडती है तो देवी देवताओं की शरण में जाते हैं। इसके अलावा गांव के पुराने वैद्य जड़ी बूटियों से मरीजों का ईलाज करते हैं।
एक सोलर लाईट के सहारे ग्रामीण
दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल में लंबे अंतराल से बिजली की सुविधा नहीं है। पूर्व में एक हाइड्रो प्रोजेक्ट के जरिए गांव में बिजली की सुविधा का प्रावधान किया गया था लेकिन वे सोलर प्लांट भी बंद पड़ा है। केवल एक सोलर लाईट है जोकि गांव के हलके क्षेत्र को कवर करती है। इसके अलावा सड़क सुविधा व स्वास्थ्य सुविधा की कमी गांव में खलती है।
बाहर से कोई आए तो नहीं मिलता गांव में प्रवेश
बड़ा भंगाल में जब से कोरोना के बारे में लोगों को जागरूक किया गया है तब से लेकर अभी तक गांववासी बाहर से आने वाले व्यक्ति को सीधे तोर पर गांव में प्रवेश नहीं करने देते , उन्हें गांव के समीप पटवार भवन में ठहराया जाता है व उनके राशन का प्रावधान करवाया जाता है।