रोहतांग टनल का ढोल देश विदेश में पीटा जा रहा है। लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की सदी पुरानी सुरंग अभी भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। सेमला में कांगड़ा-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर ये सुरंग स्थित है। 78 मीटर लंबी और 6 मीटर ऊंची ये सुरंग कांगड़ा घाटी को राज्य की राजधानी और राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ती है।
अंग्रेजी हकूमत ने इस सुरंग का निर्माण करवाया था। जिसे दशकों बाद भी बढ़ाया नहीं जा सका। इसमें से सिर्फ बस या छोटी गाड़ियां ही पार कर सकती है। कारों को लोड कर ले जाने वाली या अन्य बड़े वाहन आज भी यहां से नहीं गुजर पाते है। ये सुरंग आज भी सरकारों की नाकामी को चिढ़ाती नज़र आती है। क्योंकि सरकारें इसे बढ़ाने में विफल रही हैं।
अत्यधिक बारिश के कारण सुरंग के ऊपर से पानी की धार नीचे गिरती है, जो इसे और नुकसान पहुंचा रही है। इस सुरंग को बनाने के लिए 1972 से लेकर 2008 तक कई योजनाओं में डाला गया। लेकिन आज तक इसका काम शुरू नहीं हुआ। कांगड़ा राजनीतिक दृष्टि से सबसे बड़ा जिला है यहां के नुमाइंदे आज तक इस सुरंग को बनाने का खाका क्यों तैयार नहीं कर पाए ये सबसे बड़ा सवाल है?