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कांगड़ा का 300 साल पुराना धरोहर गरली-परागपुर देश का पहला विरासत गांव, मूलभूत सुविधाओं से वंचित

पी.चंद, शिमला |

हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में स्थित गरली – परागपुर गांव अपनी प्राचीन कलाकृतियों और लकड़ी की अदभुत नक्काशी और भव्य हवेलियों का अनोखा संगम है। जो अपनी ऐतिहासिक पहचान के लिए भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो चुका हैं। करीब डेढ़ सौ साल पहले यहां बनाई गई इमारतें पुरातन कलाकृतियों को दर्शाती हैं। हिमाचल सरकार ने गरली को सात मार्च, 2002 और परागपुर को 9 दिसंबर,1997 को धरोहर गांव का दर्जा प्रदान किया।

गरली को सूद बिरादरी का ही गांव माना जाता है। इस गांव में तो यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हर वह चीज़ है जो ज़रूरी चाहिए। जिनमें बुटेल नौण, तालाब, जजिस कोर्ट, प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर,  चार सौ साल पुराना तालाब, नौरंग यात्री निवास, सौ साल पुरानी भव्य हवेली, वर्ष 1918 में बना एंग्लो संस्कृत हाई स्कूल वर्ष 1928 में बनी उठाऊ पेयजल योजना आदि स्थान देखने योग्य हैं। लेकिन उचित नीति व राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से ये गांव अभी तक वह मुकाम हासिल नही कर पाया है जिसका ये हक़दार है।

हालांकि गांव के संपन्न लोगों ने अपने स्तर पर ही यहां पुराने मकानों को आलीशान होटलों में बदल दिया है जहां अमीर खान जैसे स्टार शूटिंग करने पहुंच रहे हैं।  कई बालीवुड हस्तियां अब फ़िल्म एलबम व विज्ञापन की शूटिंग करने पहुंच रही है। जिससे स्थानीय लोगों को पर्यटन के साथ रोज़गार के अवसर भी यहां दिखाई देने लगे है। लेकिन यहां तक पहुंचने वाली सड़कें खस्ता हालत है। आसपास के मंदिर जर्जर अवस्था में है। तालाब गन्दगी से भरा पड़ा है। ऐसे में अब जरूरत है सरकार इस गांव में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करे ताकि पर्यटक यहां सुगमता से पंहुँच सकें ओर गांव के जीवन का आनंद उठा सके।