<p>कहा जाता है कि "जान है तो जहांन है।" जिस कारण कोरोना महामारी से बचने के लिए लोगों ने घरों में रहना ही सुरक्षित समझा लेकिन इस दौरान गंभीर बीमार से पीड़ितों की मुश्किलें और बढ़ गई। एक तरफ लॉकडाउन दूसरी तरफ गंभीर बिमारी लाचार परिजन करें तो क्या करे। ऐसा ही मामला जिला कंगड़ा में जयसिंहपुर से सामने आया है। यहां हरोट जरयाल लाहड़ की अंजू देवी पत्नी अशोक कुमार पिछले तीन चार सालों से पेट की गंभीर बीमारी से लड़ रही है जिसका इलाज पीजीआई चंडीगढ़ में चल रहा था। डॉक्टरों ने 1 अप्रैल 2020 को सर्जरी की तारीख दी थी।</p>
<p>लंबी बीमारी के चलते आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई और पैसा न होने के कारण सर्जरी नहीं हो पाई। अब मंजू देवी की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है जिस कारण पेट में पानी भर गया और पेट फूल गया। इसके कारण अब खाना-पीना और चलना-फिरना बंद हो गया। अंजू के पति भी अक्सर बीमार रहते हैं। बहन दिव्यांग है जिनकी देखभाल का जिम्मा अंजू के 88 साल के पिता पूनी चन्द के कन्धों पर आ गया। लेकिन आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण वह अंजू का इलाज करवाने में असमर्थ हैं।</p>
<p>अंजू के बूढ़े पिता ने सरकार और प्रसासन से उसकी बेटी को बचाने के लिए मदद कि गुहार लगाई है। पंचायत प्रधान प्रताप सिंह जरयाल का कहना है कि गंभीर बीमारी से पीड़ित अंजू देवी निर्धन परिवार से संबंध रखती है । उन्होंने सरकार से अंजू देवी की सहायता करने की अपील की।</p>
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