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करसोग: सड़क सुविधा न होने से मरीजों को पालकी में उठाकर ले जाने को मजबूर अल्याड़ गांव के लोग

पी.चंद |

भले ही एक ओर देश में फाइव जी लॉन्च होने की बात की जा रही है। वहीं दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां सड़क तो दूर पैदल चलने के भी टूटे-फूटे रास्ते हैं । मंडी के करसोग के अंतर्गत पड़ते ग्राम पंचायत बलिन्डी के अल्याड़, दडेली और नगालठा गांव की कहानी भी कुछ इसी तरह है । यहां आज भी मरीज को सड़क तक पहुंचाने के लिए पालकी पर उठाकर लाना पड़ता है । जो आप तस्वीर देख रहे हैं यह तस्वीर शनिवार शाम की है जब अल्याड़ गांव की मटू देवी को शिमला से उपचार के बाद वापिस घर लाया जा रहा था।

अल्याड़, दडेली और नगालठा गांव के लिए पैदल चलने के लिए भी टूटा- फूटा रास्ता है । इसी रास्ते से स्कूली बच्चे भी स्कूल जाते है । जिससे हमेशा गिरने का खतरा बना रहता है। लोगों का कहना है कि ऊतक नाला मुख्य सड़क मार्ग से नगालठा के लिए करीब 3 किलोमीटर सड़क निर्माण की मांग लोग पिछले 20 सालों से कर रहे हैं लेकिन नेताओं का इस ओर कोई ध्यान नहीं है । करसोग के विधायक हीरा लाल ने भी 10 सालों पहले जब पहली बार विधायक बने उस समय और इस बार भी वोट मांगते समय और जितने के बाद भी सड़क बनाने की घोषणा की थी। लेकिन कुछ समय सड़क बनने की हलचल बढ़ती है और बाद में हमेशा की तरह मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

अल्याड़ गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें हर बाद नेताओं के झूठे आश्वासन ही मिलते रहे । जबकि दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग भी कुंभकरण की नींद सोया है। उन्होंने कहा कि गांववासियों को रोजमर्रा का सामान पीठ में उठाकर ही ले जाना पड़ता है । जब लोगों को घर बनाना पड़ता है तो ऐसे में सड़क न होने से सीमेंट,सरिया और रेत- गटका उन्हें गांव तक पहुंचने पर लगभग दुगुना दाम हो जाता है। स्थानीय लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि अल्याड़, दडेली और नगालठा गांव के लिए सड़क सुविधा से जोड़ा जाए ताकि मरीज को एम्बुलेंस सेवा घर द्वार मिल सके ।