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हिमाचल में पहले करियाला या भगत ही हुआ करते थे लोगों के मनोरंजन का साधन

पी. चंद |

देव भूमि हिमाचल में कई धार्मिक अनुष्ठान करवाए जाते हैं। जो कि हिमाचल की समृद्ध संस्कृति के साथ-साथ मनोरंजन का साधन भी माने जाते रहे हैं। ऐसा ही एक मनोरंजन का साधन है करियाला या भगत, जो कि रात में करवाई जाती है।

स्वांग के जरिये हंसी-ख़ुशी और नाटक के रूप में इसका मंचन किया जाता है। गीत, संगीत भी इसका मुख्य आकर्षण रहता है। शिमला, सोलन व ऊपरी इलाकों में इसे करियाला कहा जाता है जहां पुरुष ही औरत का भी रूप धारण कर स्वांग रचाते हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं। शौकीन दर्शक भी रात भर बैठकर भगत का आनंद लेते हैं।

जबकि निचले क्षेत्रों में खासकर कांगड़ा, हमीरपुर और ऊना में इसे भगत के नाम से जानते हैं। जहां रात भर नाच गाने व मज़ाक के साथ मनोरंजन के खेल चलते हैं। इसके अलावा पूर्ण भगत, कौंला साहनी, राजा भर्तृहरि के किस्से भी इस दौरान मंचन किए जाते हैं। लोग प्राचीन काल से देवताओं के नाम से भगत करवाते हैं।

आधुनिक मनोरंजन के साधन आ जाने के बाद अब स्वांग रचने वाले बहुत ही कम लोग बचे हैं। सुजानपुर टिहरा की भगत मंडली के मास्टर काली दास बताते हैं कि वह काफी लंबे समय से इस काम को करते आ रहे हैं। उनकी आय का साधन ही ये है। उनको इस काम से फुर्सत ही नहीं मिलती है। लेकिन नई पीढ़ी इस काम को करने में ज़रा भी रुचि नहीं दिखाती है। इसलिए शायद ये कला उनके साथ ही ख़त्म हो जाए।