दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले लंबे वक्त से आंदोलनरत हैं। किसान कृषि कानूनों को वापस लेने के की मांग पर अड़े हुए हैं। "सेव एग्रीकल्चर सेव डेमोक्रेसी" को लेकर आज कृषि कानूनों के विरोध में किसान सयुंक्त मोर्चा के आह्वान पर किसान आंदोलन के समर्थन में देश के कई राज्यों में आंदोलन किए गए। पिछले लंबे समय से आंदोलनरत किसानों के समर्थन में केंद्र के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की गई। हिमाचल किसान सभा ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ राजभवन के बाहर हल्ला बोला व राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर कृषि कानूनों को वापस लेने की जोरदार मांग उठाई गई।
हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने बताया कि इस वक़्त देश मे 1975 के बड़ा अघोषित आपातकाल है। जहां किसान से लेकर हर तबके की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। हिमाचल प्रदेश में भी कृषि कानूनों का विपरीत प्रभाव पड़ेगा। पहले ही बेमौसमी बरसात ने हिमाचल के फसलों को तबाह कर दिया है। सरकार उसका मुआबजा भी किसानों को दे। मक्की के समर्थन मूल्य सहित अन्य फसलों का समर्थन मूल्य तय करे। लेकिन किसानों के हितों को ध्यान में रखने के बजाय केन्द्र सरकार किसान आंदोलन की अनदेखी कर रही है। ये आंदोलन कुछ राज्यों का नही बल्कि देश के हर किसान का है।