<p>फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा की घुटना रिप्लेसमेंट तकनीक ने इस सर्जरी को बिलकुल सामान्य सर्जरी में तबदील कर दिया है। पहले जहां घुटना रिप्लेसमेंट का मरीज सप्ताह तक विस्तर से हिल नहीं पाता था। वहीं फोर्टिस कांगड़ा में मरीज अगले ही दिन न केवल चलना शुरू कर देता है, बल्कि सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में भी सक्षम हो जाता है। पहले जहां मरीजों को कष्टदायक दर्द सहन करना पड़ता था। वहीं अब सर्जरी भी पेनलैस हो रही है और रिकवरी में भी कोई तकलीझ नहीं हो रही है। हालांकि इस स्तर की घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा सहित देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध है। अस्पताल में उपचाराधीन करीब आधा दर्जन मरीजों ने इस बारे में अपने विचार साझा किए।</p>
<p>वहां इलाज करवाने के बाद एक मरीज धनी राम ने कहा कि घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी से पहले हालांकि कई तरह की शंकाएं थीं, लेकिन सर्जरी के बाद सब शंकाएं निराधार साबित हुई हैं। सर्जरी के दिन ही घुटने का मुड़ना संभव था। वहीं धर्मशाला के एक मरीज तिलक राज ने कहा कि वह पिछले दस सालों से घुटनों के दर्द से पीड़ित थे और एक असहाय व्यक्ति की तरह जीवन जी रहे थे। उन्होंने कहा कि वह घुटनों के दर्द से तो कराहते ही थे, लेकिन साथ ही छोटी से छोटी चीज के लिए भी परिवार वालों पर आश्रित रहना पड़ता था। जिंदगी जैसे बोझ बनती जा रही थी। साथ ही घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी से भी डर लगता था कि कहीं सारी उम्र बिस्तर में न कट जाए।</p>
<p>जैसे ही उन्हें फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा की घुटना रिप्लेसमेंट सर्जरी तकनीक के बारे में पता चला, तो उन्हें विश्वास होने लगा कि यह तकनीक वाकई में कारगर है और इसके परिणाम तो लाजवाब हैं। उन्होंने कहा कि फोर्टिस कांगड़ा में घुटना रिप्लेसमेंट के बाद अब ऐसा लग रहा है कि मानो जिंदगी में फिर से रफतार दौड़ गई है। उन्होंने कहा कि यह सर्जरी परंपरागत सर्जरी तकनीक से बहुत ही एडवांस है, जिसमें न तो खून चढ़ाने की जरूरत हुई और न ही दर्द। और तो और 24 घंटे में ही उन्होंने चलना-फिरना शुरू कर दिया। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह इस सर्जरी के नतीजों से वह संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि अब वह बिना सहारे के सीढ़ियां भी आसानी से चढ़ लेते हैं।</p>
<p>डॉ पीवी कैले ने घुटनों रिप्लेसमेंट सर्जरी पर जानकारी देते हुए कहा कि इस सर्जरी में एक छोटा सा चीरा लगाया गया है, इस दौरान मरीज की कोई भी मस्सल व नस नहीं काटी गई और खून का रिसाब भी बहुत कम होता है, जिससे मरीज को खून चढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। इस सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ पीवी कैले ने बताया कि इस तकनीक से सर्जरी देश के गिने-चुने शहरों में ही होती है। यह सर्जरी पूरी तरह से जोखिम रहित है और इसके नतीजे बहुत प्रभावी हैं।</p>
Bareilly GPS Navigation Acciden: बरेली में एक दर्दनाक सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत…
NCC Raising Day Blood Donation Camp: एनसीसी एयर विंग और आर्मी विंग ने रविवार को…
Sundernagar Polytechnic Alumni Meet: मंडी जिले के सुंदरनगर स्थित राजकीय बहुतकनीकी संस्थान में रविवार को…
Himachal Cooperative Sector Development: मंडी जिले के तरोट गांव में आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी…
NSS Camp Day 6 Highlights.: धर्मशाला के राजकीय छात्र वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में चल रहे…
Bhota Hospital Land Transfer: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार राधास्वामी सत्संग व्यास अस्पताल भोटा की…