<p>कुल्लू के बंजार विकास खण्ड की ग्राम पंचायत कंड़ीधार में तीर्थन नदी के ऊपर दाड़ी बार्ड के गांवों को जोड़ने वाला निर्माणाधीन पुल वर्षों बीत जाने पर भी लोगों की सुविधा के लिए तैयार नहीं हो सका है। अभी तक लोग यहां पर बने अस्थाई रोपवे झूले से ही जान जोखिम में डाल कर तीर्थन नदी के आर पार का सफर करने को मजबूर हैं। जिस कारण गांव के छोटे स्कूली छात्रों, बीमार और बुजुर्ग व्यक्तियों को सफर करने मे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां के लोग वर्षों पहले नदी को आर पार करने के अस्थायी पुल ढिफ़ी का निर्माण अपने तौर पर करते आए हैं। लेकिन कई साल पहले इस स्थान पर स्थानीय पंचायत द्वारा लोगों की सुविधा के लिए एक अस्थायी रोपवे झूले का निर्माण किया गया था जो अब काफी पुराना व असुरक्षित हो चुका है।</p>
<p>बता दें कि इस स्थान पर मत्स्य विभाग द्वारा तीर्थन नदी में एक झील का निर्माण किया गया है जिस कारण यहां पर जल स्तर काफी फैल गया है और बरसात के मौसम में तो यहां से सफर करना बहुत ही खरनाक होता है। इसी स्थान पर गत वर्ष एक हादसे में स्कूली छात्र अपनी जान गवां चुका है। उस समय बंजार के प्रशासनिक अधिकारियों ने स्वयं इस स्थान का दौरा करके यहां पर सुरक्षा रैलिंग लगाने का आश्वासन दिया था और उसका एस्टिमेट भी तैयार हुआ था लेकिन आजदिन तक वह सुरक्षा रैलिंग कागजी फाइलों से धरातल पर नही उतर सकी है। इस स्थान पर स्थानीय ग्राम पंचायत द्वारा कुछ वर्ष पहले मनरेगा योजना के तहत स्थायी पुल निर्माण का कार्य आरम्भ किया गया था लेकिन अभी तक नदी के आर पार दो पिल्लर ही खड़े हो पाए हैं। पुल के बनने से दाड़ी बार्ड के गांव जावल, लुहारडा, छामनी, घटाधार, रौनल, रोपाजौल और नाडार के सैंकड़ो लोगों को लाभ होना है लेकिन ग्रामीण वर्षों से इस पुल के तैयार होने की राह देख रहे हैं।</p>
<p>वर्षों पहले पुल निर्माण कार्य शुरू होने पर भी आजतक यह पुल लोगों की सुविधा के लिए तैयार नहीं हो सका है जो इस पुल का कार्य काफी समय से अधूरा लटका पड़ा है। यहां के लोग रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर जर्जर हालत में पड़े झुला से ही नदी के आर पार का सफर करने को मजबूर है या तो उन्हें करीब दो किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ता है या मजबूरन पैदल ही नदी को पार करना पड़ता है। यह स्थान तीर्थन घाटी में पर्यटकों के लिए भी ट्राउट फिशिंग के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है जो स्थानीय लोगों के इलावा पर्यटकों को भी यहाँ पर काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।</p>
<p>ग्राम पंचायत कंडीधार की प्रधान चमना देवी का कहना है कि इस पुल के लिए मनरेगा योजना के तहत बजट आया था जो अभी तक के निर्माण कार्य में खर्च हो चुका है लेकिन इस पुल का कार्य अभी अधूरा है। यह मामला जून माह में हुए प्रिजनमंच मे उपमण्डल अधिकारी के समक्ष उठाया गया था जिन्होंने उस समय खण्ड विकास अधिकारी को इसके लिए बजट जा प्रावधान करने के निर्देश दिए थे और जनता को आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही इस पुल के कार्य को पूरा किया जाएगा लेकिन अभी तक इस पुल का कार्य अधूरा ही पड़ा है। इस सम्बन्ध ने पंचायत की ओर से कई बार प्रस्ताव भेजे गए है।</p>
<p>स्थानीय लोगों का कहना है कि इस जगह पर झील बनने के बाद झूले से नदी आर पार करना खतरे से खाली नहीं है। सबसे ज्यादा कठिनाई छोटे स्कूली छात्रों, बीमार व बुजुर्ग व्यक्तियों को हो रही है इसलिए यहां पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य शीघ्र ही पूरा किया जाना चाहिए ताकि समय रहते लोग इस पुल की सुविधा का लाभ उठा सकें।</p>
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