कुल्लू के बंजार उपमंडल की कंडीधार पंचायत के चनालटी गांव के अनुसूचित जाती से ताल्लुक रखने बाले 50 साल के अधेड़ प्रीतम चन्द पुत्र स्वर्गीय मंनसु राम अभी तक सरकार द्वारा गरीबों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं से बंचित हैं। प्रीतम चन्द ने कई साल पहले चनालाटी गाँव में अपने खेत में एक कमरे वाले छोटे से कच्चे मकान का निर्माण किया था जिसमे एक छोटी सी रसोई भी बनायीं थी। करीब चार साल पहले यह मकान भूस्खलन के कारण रसोई की तरफ से काफी क्षतिग्रस्त हो गया था जिसे लकड़ी की स्पोटें दे कर खड़ा रखा गया है। ज़र्ज़र हालत में कच्चा मकान कभी भी ढह सकता है जिस वजह से प्रीतम चन्द खतरे के साये में रहने को मजबूर है।
प्रीतम चन्द का कहना है कि उसे अभी तक सरकार की ओर से गरीबों को दी जाने वाली किसी भी सुविधा का लाभ नहीं मिला है। इसने कई बार ग्राम पंचायत के चक्कर लगाए लेकिन इसकी गुहार कोई नहीं सुन रहा है। इसके छोटे से कच्चे मकान में अभी तक न बिजली है, न पानी है, और न ही रसोई गैस है। सालों पहले इसने अपनी कुल 9 विस्बा भूमि के एक हिस्से पर एक छोटा सा मकान बनाया था लेकिन अब यह मकान गिरने वाला है इसे यहां रहने से डर लग रहा है।
यूं तो इस शख्स को तीर्थन घाटी के अधिकतर लोग पीसी डोगरा के नाम से जानते है लेकिन गरीबी इस के लिए अभिशाप बनी हुयी है। इसका कहना है कि करीब 25 साल तक उसने गुशैनी और यहां के आसपास के गांव में मेहनत मजदूरी का काम किया है। अपने गुज़ारे के लिए यह कभी मनरेगा में दिहाडी लगाता है, तो कभी कभी आसपास के गांव में जाकर कपड़ों की सिलाई और रिपेरिंग का काम करता है।
प्रीतम करता है ड्राई क्लीनर का काम
उनका कहना है कि यह धोबी ड्राई क्लीनर का काम भी जानता है। तीर्थन घाटी में पर्यटकों के आने से उसे भी रोजगार की उम्मीद जगी है क्यूंकि अब इसने अपने घर से कुछ ही दूरी पर मुख्य सडक पर कुछ माह पहले एक छोटी सी ड्राई क्लीनिंग की दुकान खोली है। जहां पर इसके पास पर्यटन इकाईयों से कपडे धोने और इस्त्री करने का थोडा बहुत काम आता रहता है। इसने मनेरेगा के कार्य में भी पुरे सौ दिन से भी ज्यादा कार्य किया है लेकिन इसकी एवज में भी उसे रोशनी के लिए मात्र एक सोलर लैंप ही मिला है।
यह बताते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना तो दूर की बात इसे अपना रोजगार शुरू करने के लिए गुशैनी बैंक से वाशिंग मशीन लेने हेतु मात्र पचास हजार का लोन भी मंजूर नही हो पाया है। बीमारी की हालात में इसके कुछ हितैषी लोग इसकी मदद करते है लेकिन अभी तक किसी भी समाजसेवी संस्था, पंचयत प्रतिनिधिओं और शासन प्रशासन के किसी अधिकारी ने इसका हाल जानने की कोशिश नही की है।
प्रीतम चन्द ने बताया कि इसकी पत्नी साल 2007 में उसके तीन साल के बेटे को साथ लेकर कहीं फरार हो गई जिसका आज तक कोई भी पता नही है। लोगों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में अति निर्धन परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त एवं समृद्ध बनाने के लिए बीपीएल योजना चलाई जा रही है जिसके लिए हर ग्राम पंचायत में सर्वेक्षण किया जाता है।
सरकारी सुविधाओं से वंचित है प्रीतम
ग्राम पंचायत के अंदर जो अति निर्धन परिवार हो जो कच्चे मकान में रहता हो और जिसकी सालाना आय बहुत कम हो ऐसे लोगों को चयनित करके बीपीएल सूचि में शामिल किया जाता है। बीपीएल सूचि में शामिल परिवार को सरकार की और से सस्ता राशन, मुफ्त शिक्षा, सुचना अधिकार की फ्री सेवा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना, और मुख्यमंत्री आवास योजना जैसी कई सरकारी सहायता मिलती है ताकि गरीब लोगों का भी बेहतर विकास हो सके।
इस योजना में उसे शामिल न किये जाने का भी प्रीतम चन्द को मलाल है। वह चाहता है कि उसका नाम भी बीपीएल सूची में शामिल हो ताकि वह भी अपने घर की मुरम्मत कर सके, उसे भी सस्ता राशन और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले लेकिन उसकी गुहार कोई नहीं सुन रहा है। प्रीतम चन्द ने सरकार और प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उसकी गुहार को सुना जाए ताकि इसे सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले और यह भी विकास की मुख्य धारा में जुड़ सके।
तीर्थन घाटी के समाजसेवी खुशाल चन्द ठाकुर का कहना है कि चनाल्टी गांव का प्रीतम चन्द वास्तव में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है जिसको सरकार की ओर स गरीबों को दी जाने वाली सुविधाओं की सख्त जरूरत है इसका मकान गिरने के कगार पर है जिसे तुरन्त मुरम्मत की आवश्यकता है। ग्राम पंचायत कंडीधार पंचायत की प्रधान कि चमना देवी का कहना है कि बीपीएल चयन के लिए सर्वे कमेटी बनाई गई थी लेकिन प्रीतम चन्द का चयन नहीं हुआ है अब प्रीतम चन्द को मकान बनाने के लिए किसी अन्य योजना में सहायता दिलाई जाएगी।