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कुल्लू पुलिस विवाद: अफसरों की काबिलयत पर भारी पड़ता उतेजना से उपजा क्षणिक गुस्सा

बीरबल शर्मा |

भुंतर एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के स्वागत में पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने मौके पर वीआईपी सुरक्षा जैसी सबसे जिम्मेवारी वाली भूमिका निभा रहे काबिल पुलिस अधिकारियों की उतेजना से पैदा हुए क्षणिक गुस्से ने जिस तरह से हिमाचल पुलिस की शालीनता को चोट पहुंचाई है इसकी जल्द भरपाई करना मुश्किल लगता है।  यह प्रदेश में अपनी तरह की पहली घटना है। इस घटना को लेकर लगातार आ रही हजारों टिप्पणियों की बात करें तो यह सपष्ट तौर पर सामने आया है कि दोनों ही प्रमुख अधिकारियों के समर्थन में लोग बंटे हुए हैं। राजनीतिक दल व राजनीतिज्ञ व मीडिया भी इसे लेकर अलग अलग राय रख रहा है। 

कारण यही सामने आया है पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह व मुख्यमंत्री के सुरक्षा अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ब्रजेश सूद पिछला रिकार्ड बेहद साफ सुथरा व काबलियत से भरा रहा है। गौरव सिंह ने जिस तरह से नालागढ़ में रहते हुए खनन माफिया व अन्य माफिया को सबक सिखाया था और वह चर्चा में आए थे वैसे ही कुल्लू के पुलिस अधीक्षक रहते हुए वह अपराधियों से निपटने में जिस तरह से कामयाब रहे थे उससे वह जन जन में प्रिय हो गए थे। उनकी गिनती प्रदेश के सबसे काबिल पुलिस अफसरों में होने लगी है। 

कुल्लू में चरस माफिया से लेकर दूसरे अवैध धंधों में संलिप्त तत्व को उन्होंने जिस तरह से निपटाया उससे लोग बेहद संतुष्ट रहे हैं। अब तो शायद उनका तबादला भी यहां से होना ही था। मगर बीच में एक क्षणिक उतेजना से पैदा हालात से यह दुर्भाग्यपूर्ण वाक्या घट गया। इसी तरह से ब्रजेश सूद मंडी में भी तैनात रहे हैं। वह मंडी शहर चौकी के प्रभारी से लेकर कई पदों पर रहते हुए शिमला में भी उनका कार्य बेहद प्रशंसनीय माना गया है । ब्रजेश सूद की गिनती भी काबिल पुलिस अफसरों में होती है। सालों से वह प्रदेश की राजधानी में तैनात रहते हुए अपना लोहा साबित कर चुके हैं। कभी किसी विवाद में उनका नाम नहीं आया। जिसके चलते वह मुख्यमंत्री की सुरक्षा अधिकारी जैसे जिम्मेवार पद पर पहुंचे।

सोशल मीडिया के सूचना तंत्र में अधिपत्य के चलते 23 जून दोपहर बाद भुंतर हवाई अड्डे पर घटित यह चौकाने वाली घटना अब प्रदेश स्तर पर ही न रह कर पूरे देश में सुर्खियां बन चुकी हैं। इसके हर पहलू को लोग बारीकी से कई एंगलों से आई विडियो देख चुके हैं। अब उतेजना की शुरूआत कैसे, क्यों और किससे हुई यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा। मगर जो निराशाजनक पहलू प्रदेश व पुलिस तंत्र के लिए है वह यही है कि दो काबिल अधिकारियों की काबलियत ही इस वाक्या ने दांव पर लगा दी जो प्रदेश व पुलिस के लिए भी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। 

समझ रखने वालों का यह मानना है कि इनके बीच जो कुछ भी हुआ वह नहीं होना चाहिए था। अब तक आम तौर पर खाकी पर लगने वाले दाग रिश्वत, मारपीट या दूसरे किसी अनैतिक कार्य को लेकर सुर्खियों में आते हैं। मगर इस तरह तमाचा और लात का यह दाग सरेआम मुख्यमंत्री के सामने और केंद्रीय मंत्री के दौरे में मीडिया की मौजूदगी में पहली बार ही लगा है। इसे एक व्यवस्था की बड़ी चूक कहा जा सकता है व क्षणिक गुस्से की उपज ही कहा जा सकता है। क्या भविष्य में इस तरह के संवेदनशील व जिम्मेवारी वाले पदों पर तैनात किए जाने वाले अधिकारियों की तेज तर्रारी के साथ साथ उनमें गहनशीलता, सहशीलता व गजब का धैर्य का मिश्रण होना भी जरूरी हो, ऐसा सरकार सुनिश्चित कर सकती है।