प्रदेश में मैटीरियल बजट के अभाव में मनरेगा कार्यों की देनदारी 39 करोड़ रुपये हो गई है। बीते तीन माह से मनरेगा के तहत मैटीरियल को बजट नहीं आया है। इस कारण प्रदेश में विभिन्न मनरेगा कार्य ठप पड़े हैं। बजट न आने से कार्यों के लिए खरीदे गए मैटीरियल का भुगतान न होने पर मनरेगा कार्यों की देनदारी बढ़ रही है।
मनरेगा मैटीरियल के लिए जिला कांगड़ा सबसे ज्यादा कर्जदार है। कांगड़ा जिले की देनदारी 8.92 करोड़ हो गई है। हमीरपुर दो करोड़, चंबा पांच करोड़, सिरमौर 4 करोड़, मंडी साढ़े पांच करोड़, बिलासपुर ढाई करोड़, किन्नौर 36 लाख, कुल्लू साढ़े तीन करोड़, लाहौल-स्पीति 2 करोड़, शिमला 2 करोड़, सोलन एक करोड़ और ऊना ढाई करोड़ का कर्जदार हो गया है।
हालांकि, केंद्र सरकार ने बजट समय पर स्वीकृत कर दिया है, लेकिन प्रदेश में विस चुनावों के कारण बीते तीन माह से सरकार मैटीरियल के लिए बजट स्वीकृत नहीं कर पाई है। वहीं, नई सरकार बनने के बाद भी बजट स्वीकृत नहीं हो पाया है। लोगों ने ग्रामीण विकास विभाग और प्रदेश सरकार से मैटीरियल बजट को जारी करने की मांग की है।