हिमाचल के जिला कांगड़ा में प्रसिद्ध शक्तिपीठ बज्रेश्वरी देवी मंदिर में सात दिवसीय घृत मंडल पर्व मकर संक्रांति से शुरू हो गया। करीब 20 क्विंटल मक्खन से मां की पिंडी का शृंगार किया गया है और इस धार्मिक आयोजन को देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु कांगड़ा पहुंचे हैं। 20 जनवरी को मक्खन मां की पिंडी से उतारा जाएगा और इसे श्रद्धालुओं में प्रसाद स्वरूप बांटा जाएगा। मान्यता है कि इस मक्खन रूपी प्रसाद से चर्म रोगों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
घृत मंडल पर्व के संबंध में कहा जाता है कि जालंधर दैत्य को मारते समय मां बज्रेश्वरी देवी के शरीर पर कई चोटें आई थीं और देवताओं ने माता के शरीर पर घृत का लेप किया था। इसी परंपरा के अनुसार देसी घी को एक सौ एक बार शीतल जल से धोकर उसका मक्खन बनाकर मां की पिंडी पर चढ़ाया जाता है। साथ ही मेवों और फलों की मालाएं भी चढ़ाई जाती हैं। मंगलवार देर रात तक मां की पिंडी पर मक्खन लगाने का काम जारी रहा।
भोले बाबा पर 4 क्विंटल मक्खन का लेप
ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में भोले बाबा की पिंडी का चार क्विंटल मक्खन से शृंगार किया गया। मंदिर में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहते हैं कि मंडी के राजा भीमसेन यहां स्थापित शिवलिंग को मंडी ले जाना चाहते थे लेकिन भोले शंकर ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और ऐसा न करने के लिए कहा था। भोले बाबा ने उन्हें दंड स्वरूप शिवलिंग पर मक्खन चढ़ाने के लिए कहा था। तबसे यह परंपरा जारी है। शिव मंदिर ट्रस्ट की ओर से यह आयोजन हर साल किया जाता है।