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महाशय धर्मपाल गुलाटी के जीवन से मिलती है प्रेंरणा, हमेशा खुद को समझते थे युवा

मृत्युंजय पुरी |

देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले एमडीएच मसालों के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 98 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ वहीं, उनकी यादों का किस्सा खूबसूरत धर्मशाला के शहर से भी जुड़ा हुआ है। महाशय धर्मपाल गुलाटी का धर्मशाला शहर में ससुराल भी है। धर्मशाला शहर के कोतवाली बाजार के रहने वाले पराशर चड्ढा का भी उनके साथ एक गहरा नाता है

उन्होंने कहा कि सन 1965 ने पाकिस्तान ने हमारे ऊपर हमला किया था और धर्मशाला में भी 3 बम गिराए थे उसके बाद मैंने एक फ़िल्म बनाने का सोचा था जोकि न्हने मुने बच्चों के नाम से जिसका जिक्र किया गया था।उस फिल्म के लिए मुझे एक स्पांसर चाहिए था जिस के लिए मैंने महाशय धर्मशाला को पत्र लिखा था की मेरी फिल्म को टीवी पर चलाये जिसका उन्होंने कोई जिक्र नहीं किया लेकिन धर्मशाला में उनके रिश्तेदारों के यहां आने पर उनसे मुलाकात हुई तो जिस पर उनसे अनुरोध किया कि मेरे दोबारा बनाई गई फ़िल्म को किसी टीवी पर चला दे जिसके बाद उन्होंने फिल्म देखी 10 मिनट के लिए उसके बाद उनसे नाता जुड़ता गया और उनकी एड भी मेरे दोबारा बनाई गई जिसके बाद बहुत सी एड मेरे दोबरा बनाई गई और एक पारिवारिक रिश्ता उनके साथ बन गया ।

वहीं, उन्होंने कहा कि धर्मशाला जब भी धर्मशाला आते थे तो उनका स्वभाव एक अमीर का नहीं था जबकि उनके मन में पैसे का कोई घमंड नहीं था वो हर किसी की दिल खोल के हर किसी की मदद करते थे चाहे कोई गरीब हो या अमीर हो। उन्होंने कहा कि व्यपारी के नाते वो बहुत कुशल थे अब तक उनकी 30 से 35 एड मेरे दोबारा बनाई गई है जिसमें उनके दोबारा ही रोल किया गया है वो किरदार में रहते थे और जब भी एड बनाते थे तो अमिताभ से भी बहुत आगे लगते थे।

वहीं, उन्होंने बताया कि महाशय धर्मपाल खुद को अपनी उम्र से नहीं देखते थे जबकि वो खुद को हमेशा युवा मानते थे। करोड़ो रूपये का कारोबार होने के बाबजूद हर जगह खुद मौजूद होकर कार्य करते थे और उनके अनुवभ का कोई सामना  नहीं था। जब भी धर्मशाला आते थे तो वो अच्छा समय व्यतीत करते थे लेकिन व्यस्तता के चलते वो जल्द वापिस चले जाते थे। उनके निधन से सारी दुनिया के लिए बहुत बड़ी कमी है और इस कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता हैं।