आज के आधुनिक युग मे आप यकीन न करें लेकिन हिमाचल के कई इलाकों में आज भी भूतिया जगहों पर लोग ख़ौफ़ खाते हैं और ऐसी जगहों पर जाने से कतराते हैं। ऐसी की भूतिया कहानी मनाली-लेह मार्ग पर 16616 फीट की ऊंचाई पर स्थित लचुलुंगला पास से जुड़ी हुई है। माना जाता है कि लचुलुंगला पास 22 मोड़ इस जगह पर एक युवक की आत्मा दिन रात भटकती रहती है। जो यहां से गुजरने वाले हर वाहन चालक से बस पानी मांगती है।
ऐसे कई चश्मदीद हैं जो बताते है कि वह भूतिया आवाज को सुन भी चुके हैं। यही वजह है कि बिना पानी की बोतल चढ़ाए कोई भी यहां से आगे नहीं बढ़ता। लोग कहते हैं ये भूत मिनरल वाटर पीता है। ये भी कहा जाता है कि यदि यहां कोई पानी की बोतल नहीं चढ़ाते है तो उनके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती है।
दर्दनाक मौत के बाद भटकने लगी आत्मा
ऐसा बताया जाता है कि 12 वर्ष पूर्व एक ड्राइवर-कंडक्टर ट्रक लेकर लेह जा रहे थे। सरचू से तकरीबन 35 किलोमीटर लचुलुंगला के पास 22 मोड़ में वाहन हादसे का शिकार हो गया। ट्रक का परिचालक हादसे में मारा गया। ट्रक चालक घायल कंडक्टर को तड़पता छोड़कर भाग गया। कुछ लोग ये भी कहते सुने गए कि यह ड्राइवर दूर गांव में मदद के लिए गया मगर वापस लौटते काफी देर हो गई। उसी रात वहां से गुजर रहे एक अन्य ड्राइवर ने घायल कंडक्टर को देखा तो वह पानी के लिए चिल्ला रहा था। जब तक वह पानी लाता उसकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद उसकी आत्मा यहां भटकने लगी।
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी?
लाहौल के वयोवृद्ध इतिहासकार छेरिंग दोरजे बताते हैं यह एक भूत की सच्ची कहानी है. उनके अनुसार यह बात दस साल पहले की है। ट्रक ड्राइवर सुरेंद्र कुमार, राजू राम, नंद किशोर और भागसेन के अनुसार इस मार्ग से गुजरते समय ड्राइवर-कंडक्टर यहां आत्मा के लिए पानी की बोतल छोड़ते हैं।
एसआरटीसी केलांग डिपो के चालक रमेश लाल ने बताया कि कई ड्राइवर उन्हें बता चुके हैं उन्होंने उस आत्मा की चीख सुनी है जो पानी मांगती है। डर से ही सही यहां ड्राइवर पानी की बोतलें छोड़ते हैं। यह भूत की सच्ची कहानी है या झूठी कहानी यह तो भगवान ही जाने लेकिन यहां पर लगे बोतलों का ढेर कुछ तो जरूर कहता है।
यहां गुजरने वालों को होता है रूह का आभास
यहां से गुजरने वाले हर ड्राइवर-कंडक्टर को उसकी रूह का आभास होता और पानी-पानी चिल्लाने की आवाज सुनाई देती हैं। कंडक्टर की लाश को यहीं पर दफना दिया था। इसके बाद ही यहां अचानक डरावनी घटनाएं घटने लगी। वह यहां से गुजरने वाले ड्राइवरों से खाने के लिए सामान मांगता था। जो लोग खाना-पानी नहीं देते थे वह हादसों का शिकार होने लगे। बाद में यहां पर मंदिर बना लिया गया। अब यहां से गुजरने वाले ड्राइवर पानी की बोतल जरूर चढ़ाते हैं।