मंडी शहर के बीचों बीच 160 साल पुराने ऐतिहासिक बिजयी स्कूल के साथ प्राचीन प्राइमरी स्कूल यू ब्लॉक को तोड़कर वहां पर 100 करोड़ की लागत से पीपीपी मोड में बनाई जा रही पार्किंग और शॉपिंग मॉल को लेकर मंडी सदर के विधायक अनिल शर्मा ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है। बता दें कि अनिल शर्मा अभी तक भाजपा के विधायक हैं और इस पार्किंग और शॉपिंग मॉल को प्रदेश की भाजपा सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जा रहा है
अनिल शर्मा ने सोशल मीडिया के जरिए जारी अपने ब्यान में कहा कि कुछ दिनों से इस निर्माण को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं, उनका नाम भी लिया जा रहा है। ऐसे में इस बारे में विधायक होने के नाते कुछ बोलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मंडी शहर में पार्किंग का बनाया जाना जरूरी है क्योंकि वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री होते हुए जब वह उनके मंत्रीमंडल में शामिल थे तो उन्होंने मंडी शहर की सुकेती खड्ड किनारे और जेल परिसर में पार्किंग का शिलान्यास किया था। जेल अभी शिफ्ट नहीं हो पाई है और सुकेती खड्ड किनारे की पार्किंग एनजीटी के कठोर मापदंडों की भेंट चढ़ गई।
'मेरी हिस्सेदारी साबित करके दिखाएं, छोड़ो दूंगा राजनीति'
उन्होंने कहा कि यू ब्लॉक में पार्किंग बनाने की योजना उनकी ही थी और इसी लिहाज से इस जमीन को भी शहरी विकास विभाग के नाम किया गया था। मगर जब उन्हें सरकार से अलग होना पड़ा, मंत्री पद छोड़ना पड़ा तो इसके नक्शे में परिवर्तन करके इसमें शॉपिंग मॉल भी जोड़ दिया गया। अनिल शर्मा ने कहा कि शहर की तंग जगह पर इतना बड़ा ढांचा तैयार करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इस निर्माण को लेकर उनका भी नाम लेकर कई तरह के लांछन लगाए जा रहे हैं। यह ठीक है कि इसे बना रहे ठेकेदार उनके रिश्तेदार हैं मगर इसमें मेरी कोई भी हिस्सेदारी नहीं है। यदि कोई इसमें मेरी हिस्सेदारी या किसी तरह की संलिप्तता साबित कर दे तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।
पूर्व मंत्री ने कहा कि यदि इसमें लोगों को दाल में कुछ काला नजर आ रहा है तो मुख्यमंत्री का अपना शहर है वह इसे देखें कि यह काला क्या है। अनिल शर्मा ने कहा कि इस तरह के निर्माण खुली जगह पर होने चाहिए ताकि शहर में और अधिक भीड़ भाड़ न बढ़े। मुख्यमंत्री को इसे देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे पहले स्कूल का निर्माण होना चाहिए और फिर पार्किंग या दूसरा निर्माण हो अन्यथा यह सही नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें प्रदेश सरकार एक भी पैसा खर्च नहीं कर रही है । सारा पैसा ठेकेदार का है, ऐसे में ठेकेदार तो अपने बिजनैस के हिसाब से काम करेगा।