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मंडी: धान का घटिया बीज होने से फसल हुई बर्बाद, किसानों ने सरकार से की मुआवजे की मांग

बीरबल शर्मा |

मंडी जिले के जोगिंदर नगर-कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध करवाए गए धान के बीज को बीजने से उपमंडल के विभिन्न किसानों की धान की फसल बर्बाद हो गई है। बर्बाद फसल के मुआवजे की मांग को लेकर हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में प्रभावित किसानों ने कृषि विभाग के जोगिंदर नगर कार्यालय का घेराव किया और कृषि विभाग के तकनीकी अधिकारी की माध्यम से कृषि मंत्री को और एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर उचित मुआवजे की मांग की है।

किसान नेता कुशाल भारद्वाज ने कहा कि किसानों की फसल बरबादी का एक बड़ा कारण ये भी है कि जो बीज कृषि विभाग द्वारा किसानों को दिया गया वह तैयार होने में 120 से 130 दिन का समय लेता है। लेकिन जोगिंदर नगर में अधिकांश इलाकों में सिंचाई का पानी ही नहीं होता है और बरसात के खत्म होते ही किसानों के खेत सूख जाते हैं। जिस कारण उनके धान के पौधे तो खूब सेहतमंद हुए लेकिन उनमें या तो सिल्ला ही नहीं आया और अगर सिल्ला आया भी तो बीज ही नहीं लगे हैं।

इस साल धान की रोपाई हेतु मंडी जिला में खासकर जोगिंदर नगर उपमंडल में बहुत से किसानों ने कृषि विभाग से बीज खरीदा था। जिसकी उन्होंने अपने खेतों में बीजाई की थी। बाद में धान के पौधे रोपने में भी मेहनत की। अच्छी फसल की उम्मीद में बहुत से किसानों ने खाद डालने के साथ-साथ खरपतवार आदि हटाने के लिए दवाई का छिड़काव भी किया। इसके अलावा कई किसान परिवारों ने बीजाई के लिए ट्रैक्टर, बैल औज़ार आदि किराए पर लिये तथा कुछ ने कृषि श्रमिकों को भी मजदूरी पर लगाया।

इस बीज से धान के पौधे तो खूब सेहतमंद निकले लेकिन जब फसल काटने का समय हुआ तो देखा कि इन पौधों में या तो सिल्ला ही नहीं निकला और अगर कहीं निकला भी है तो बीज ही नहीं बना है। जिन किसानों ने परंपरागत बीज का इस्तेमाल किया उनकी फसल में ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई है। कृषि विभाग से बीज खरीदने वाले किसान परिवारों की फसल बर्बाद हो जाने से उनको अत्यधिक नुकसान हुआ है। किसान परिवारों के हुए इस भारी नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने मांग की कि राजस्व विभाग की एक टास्क फोर्स गठित की जाये, जो कि प्रभावित किसानों के खेतों का जायजा लेकर आकलन करें और उसके आधार पर प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति हेतु मुआवजा भी दिया जाये। मुआवजा राशि कम से कम 20 हजार रूपये प्रति बीघा के हिसाब से दी जाये। किसानों ने बीज, खरपतवारनाशक, ट्रैक्टर, बैल, औज़ार और मजदूरी पर जो खर्चा किया है उसकी भरपाई भी की जाये। पूरे उपमंडल में जंगली जानवरों और आवारा पशुओं का भारी प्रकोप है जिस कारण धान के अलावा बाकी फसल को ये जानवर भारी नुकसान पहुंचाते हैं। अब धान की फसल की बरबादी के कारण किसान परिवारों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है।

इस अवसर पर किसान नेता निहाल सिंह ठाकुर और बलदेव सिंह ने कहा कि कृषि विभाग ने बीज बेचती बार उनको कोई जानकारी नहीं दी थी कि ये वाला बीज 120 दिन में तैयार होता है, हकीकत ये है कि जो बीज किसानों को दिया गया है वह कम पानी वाली जगह के लिए बिलकुल भी वाजिब नहीं है। जिस कारण किसानों की फसल और मेहनत बर्बाद हुई है। 

उन्होंने कहा कि नुकसान की भरपाई के लिए यदि विभाग और सरकार ने जल्दी कोई काम नहीं उठाया तो सभी किसान संघर्ष को और तेज करते हुए कृषि विभाग के कार्यालयों की तलबंदी करेंगे। उन्होंने हैरानी जताई कि सरकार ने इस दिशा में किसानों की क्षतिपूर्ति हेतु कोई कदम नहीं उठाया है। इस अवसर पर युवा नेता संजय जमवाल ने कहा कि किसानों कि इस जायज मांग में जोगिंदर नगर के नौजवान भी साथ हैं तथा किसानों के समर्थन में नौजवान सभा भी आंदोलन में कूद पड़ेगी। बाद में हिमाचल किसान सभा की बैठक में तय किया कि यदि 10 दिन के अंदर यदि सरकार ने मुआवजा देने हेतु कदम नहीं उठाए तो किसान सभा शीघ्र ही अगली कार्यवाही की घोषणा करेगी।