पारा माइनस में जाने और क्षेत्र में हुई बर्फबारी से मंडी जिला के बड़ा देव कमरुनाग की पवित्र झील पूरी तरह से जम गई है। झील के ऊपर पानी जम जाने की करीब 3 से 4 इंच मोटी परत बन गई है। झील जम जाने से अब देव कमरुनाग की झील में छिपे अरबों के खजाने पर लुटेरों की निगाह पड़ सकती है। झील की सुरक्षा के लिए मंदिर कमेटी ने पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं। कमरूनाग झील क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बाद देव कमेटी के सदस्य भी निचले इलाकों में वापस आ गए हैं। हालांकि, बर्फबारी के उपरांत प्रशासन औप देव कमरूनाग कमेटी के द्वारा श्रद्धालुओं से मंदिर आने की मनाही की गई है। लेकिन देव कमरूनाग के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था दर्शन करने के लिए साहस जुटा देती है। ताजा बर्फबारी के बाद देव कमरूनाग मंदिर परिसर और रहस्यमयी झील पूरी तरह बर्फ से ढक चुके हैं और दिन में भी यहां का तापमान माईनस में रहता है।
बता दें, कि मंडी जनपद के सबसे बड़े देव कमरूनाग का मंदिर और पवित्र झील समुद्र तल से 8 हजार फुट की ऊंचाई पर मौजूद है। मंदिर पहुंचने के लिए रोहांडा से 6 किलोमीटर की चढ़ाई और धंगयारा से पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर और झील पर माथा टेकने के लिए जिला, प्रदेश और विदेश से भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। देव कमरूनाग मंदिर पहुंची मंडी जिला निवासी दीक्षिता ने कहा कि देव कमरूनाग मंदिर आने के लिए उनके मन में देवता के प्रति उनकी श्रद्धा है। उन्होंने कहा कि देव कमरूनाग की झील पूरी तरह से जमी हुई है। उन्होंने कहा कि बर्फबारी में देव कमरूनाग मंदिर आकर गलती तो की है,लेकिन देवता को लेकर उनकी श्रद्धा व विश्वास से ही पहली बार देव कमरूनाग के मंदिर पहुंच पाए हैं।
इधर, देव कमरूनाग कमेटी के कारदार भूप सिंह ने कहा कि देव कमरूनाग मंदिर में हाल ही के दिनों में हुई बर्फबारी के बाद पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बावजूद भी मंदिर में आने के लिए श्रद्धालुओं का सिलसिला जारी है। उन्होंने कहा कि हिमपात होने के कारण यहां पर हमेशा जान का खतरा बना रहता है तो मंदिर आने से पहले श्रद्धालु ग्राम पंचायत रोहांडा के प्रधान प्रकाश चंद से संपर्क कर ही मंदिर का रुख करें।