हिंदु धर्म में चली आ रही परंपरा में महिलाएं शवों के साथ शमशानघाट नहीं जाती। लेकिन अब कोरोना काल में महिला पटवारियों की भी कोरोना से मरने वालों के शवों को जलाने की ड्यूटी लगा दी गई तो पटवारी कानूनगो महासंघ सरकार से खफा हो गया। मंडी जिले में अभी तक कोरोना से मरने वालों को नेरचौक मेडिकल कालेज के नजदीक कंसा के समीप सुकेती खड्ड में एक निर्धारित जगह पर जलाया जा रहा है। इसके लिए बल्ह उपमंडल प्रशासन का विशेष रोल तय किया गया है।
अब चूंकि कोरोना से मरने वालों की तादाद बढ़ने लगी है, दूसरे जिलों के जो मरीज नेरचौक मेडिकल कॉलेज में यदि मौत का शिकार हो जाते हैं तो उनका अंतिम संस्कार भी यहीं होता है। ऐसे में अब तहसीलदार बल्ह ने एक आदेश निकाला है जिसमें शवों को जलाने के लिए लगाई गई पटवारियों की ड्यूटी में महिला पटवारी भी शामिल कर दिए गए हैं।
इधर, पटवारी कानूनगो महासंघ ने मंडी जिला के बल्ह प्रशासन द्वारा महिलाओं को शव जलाने के काम में नियुक्त करने के आदेश पर चिंता जताई है। महासंघ के अध्यक्ष हेमराज ने बताया कि मण्डी जिला के बल्ह उपमंडल में कोरोना मृतक के शव को जलाने के लिए महिला पटवारियों को तैनात किया गया है जो प्रदेश की संस्कृति में पहली बार हो रहा है । महासंघ ने इस आदेश का पूर्णतय विरोध किया है। हेमराज ने बताया कि इस बारे डीसी मण्डी से फोन पर बात करने की कोशिश की मगर बात नहीं हो सकी। एडीएम मण्डी के ध्यान में मामला लाया गया है इसके अलावा प्रधान सचिव राजस्व ओंकार शर्मा से भी बात की । सचिव राजस्व ने मामला डीसी से उठाने की बात की।
महासंघ का कहना है कि हिमाचल सरकार व स्थानीय प्रशासन किस ओर जा रहा है ये सोचने का विषय है। महासंघ ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि इस तरह के मामलों को गंभीरतापूर्वक लें। प्रदेश में राजस्व विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी कर्मचारी हैं, जिनकी सेवाएं इस महामारी में ली जा सकती है ध्यान रहे कि पटवारी कानूनगो इस महामारी के कार्यों के साथ अपने अन्य सभी कार्यों को पूरा कर रहे हैं, फिर अन्य विभागों के कर्मचारियों से इस तरह के कार्य लेने में संकोच क्यों।