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शहीदों और उनके परिवारों को सम्मान दिलाने के लिए शहीद अनुज के पिता ने शुरू किया ऑनलाइन अभियान

मृत्युंजय पूरी |

देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद जवानों और उनके परिवारों को सम्मान दिल्लाने के लिए शहीद अनुज सूद के पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर सी.के ने एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है। ताकि देश के शहीदों और उनके परिवारों को वह सम्मान मिल सके जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि देश के सभी नागरिक यह सुनिश्चित करने के लिए मेरी याचिका पर हस्ताक्षर करें और साझा करें कि प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति का कार्यालय शहीद सैनिकों के परिवारों को उनके बलिदान के सम्मान में एक शुरुआत के रूप में प्रशस्ति पत्र जारी करता है।

उन्होंने कहा की देश की रक्षा करने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले बहादुर दिलों को एक बार ट्वीट किया जाता है, उसके बाद हमेशा के लिए भुला दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने मेरा बेटा और उसके 4 अन्य बहादुर साथी कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। देश की सेवा हमेशा मेरे बेटे की सर्वोच्च प्राथमिकता थी। एक बच्चे के रूप में, वह हमेशा सेना में शामिल होने का सपना देखता था और उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक देश की सेवा की। वह अभी 30 साल का था। उसी की तरह, हमारे देश की मिट्टी के कई बेटे हमारी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हैं।

मैं बहुत दु:ख के साथ लिख रहा हूं कि सच्चाई यह है कि सरकार में कोई भी वास्तव में हमारे शहीद बेटों की परवाह नहीं करता है। उनके परिवारों को अकेला छोड़ दिया जाता है और उन्हें अनदेखा कर दिया जाता है। इसीलिए मैंने यह याचिका ( ऑनलाइन अभियान ) शुरू किया ताकि इस देश के शहीदों और उनके परिवारों को वह सम्मान मिले, जिसके वे हकदार हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे जैसे कई परिवारों के पास अपने बेटे की बहादुरी और राष्ट्र की सेवा की भावना के अलावा कुछ नहीं बचा है। हम चाहते हैं कि सरकार हमारे बहादुर जवानों और उनके दुःखी परिवारों को सम्मानित करे। हमारे बहादुरों को याद करने के लिए एक मानक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल होना चाहिए। केवल उनकी मृत्यु के समय ही नहीं बल्कि हर साल शहीदों को सम्मानित किया जाए। यह याचिका सिर्फ मेरे बेटे के लिए नहीं, बल्कि भारत के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले प्रत्येक शहीद जवान के लिए है। कृपया याचिका को साझा करें ताकि उनके बलिदान को याद किया जाए और स्वीकार किया जाए।