<p>शिमला पब्लिक स्कूल के अभिभावकों ने खलीणी में हनुमान मंदिर के नजदीक एक बैठक का आयोजन किया जिसमें लगभग 50 अभिभावकों ने भाग लिया। बैठक में छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, सह संयोजक बिंदु जोशी और फालमा चौहान विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में अभिभावकों ने निर्णय लिया कि 18 अप्रैल को शिमला पब्लिक स्कूल की मनमानी, लूट, मनमर्जी और भारी फीसों के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच के बैनर तले अभिभावकों का एक जन प्रतिनिधिमंडल स्कूल प्रधानाचार्य से मिलेगा और उन्हें ज्ञापन सौंपेगा।</p>
<p>मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने शिमला पब्लिक स्कूल के प्रबंधन को चेताया है कि वह अभिभावकों को डराना धमकाना बन्द करें अन्यथा उसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि इस स्कूल में भारी अव्यवस्था और अराजकता का आलम है। इस स्कूल में पानी की उचित व्यवस्था करने और शौचालयों की सफाई को लेकर उच्चतर शिक्षा निदेशक शिक्षा अधिकारियों को लिखित आदेश दे चुके हैं। इंस्पेक्शन के दौरान संयुक्त शिक्षा निदेशक ने भी इस स्कूल में भारी खामियां पायीं थीं और स्कूल प्रबंधन को तुरन्त उचित कदम उठाने को कहा था लेकिन आज तक इस स्कूल के प्रबंधन ने इन खामियों को दूर नहीं किया बल्कि अभिभावकों को ही प्रताड़ित करने का कार्य शुरू कर दिया।</p>
<p>इस स्कूल में भारी फीसें वसूली जा रही हैं लेकिन सुविधा के नाम पर छात्रों को कुछ भी नहीं दिया जा रहा है। यहां पर अध्यापकों और कर्मचारियों का भी भारी शोषण किया जा रहा है। अध्यापकों को कौड़ियों के भाव पर रखा जा रहा है जिस कारण ज़्यादातर अध्यापक 3-4 महीने में ही नौकरी छोड़ कर चले जा रहे हैं। इस कारण एक साल में एक विषय के तीन-तीन अध्यापक बदले जा रहे हैं। इस तरह बच्चों की शिक्षा का स्तर बेहद कमजोर है। इससे बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को चेताया है कि अगर उसने अपनी अव्यवस्थाएं ठीक न कीं, छात्रों को मूलभूत सुविधाएं न दीं और अभिभावकों को डराना धमकाना बन्द न किया तो मंच शिमला पब्लिक स्कूल को आंदोलन का केंद्र बना देगा।</p>
<p>बिंदु जोशी और फालमा चौहान ने कहा है कि इस स्कूल में फीसों में भारी वृद्धि की गई है। छात्रों को तीन-तीन वर्दियां लगाकर उनका भारी आर्थिक शोषण किया जा रहा है। इसके सिवाय अध्यापक दिवस पर छात्रों से जबरन 50 रुपये वसूले जा रहे हैं। स्कूल फंक्शनों में ड्रेस और अन्य सामानों के नाम पर ठगी की जा रही है। आर्ट एंड क्राफ्ट की 3 हज़ार रुपये से ज़्यादा की किताबें और सामान खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है। छात्रों को घर के लिए भारी भरकम होम वर्क दिया जाता है। इस तरह इस स्कूल में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है परन्तु फिर भी भारी फीसें वसूली जा रही हैं। इस स्कूल में हर आवश्यक चीज़ का अभाव है।</p>
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