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मिड-डे मील वर्कर्स ने मांगा सरकारी कर्मचारी का दर्जा और वेतन

गौरव, कुल्लू |

कुल्लू में मिड डे मील वर्करज युनियन अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त कुल्लू कार्यालय पहुंचे और एक मांग पत्र केंद्रीय वित्त मंत्री को प्रेषित किया। जिसमें उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार ने वर्करज का वेतन बढ़ाने का आश्वासन दिया था जिसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशावर्करज के मानदेय में बढौ़करी की गई लेकिन पिछले साढे़ चार सालों में मिड डे मील का एक रुपया भी नहीं बढ़ाया गया। मिड डे मील वर्करज यूनियन ने इस मांग पत्र के माध्यम से केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि उनका यह वेतन शीघ्र बढ़ाया जाए, छंटनी के लिए 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए।

उन्होंने मांग की है कि अन्य स्कीम वर्कर की तर्ज पर मिड डे मील वर्करज के मानदेय में भी शीघ्र बढ़ौतरी की जाए। इस मौके पर इस प्रतिनिधि मंडल की अध्यक्षता करते हुए मिड डे मील वर्करज यूनियन की प्रदेश अध्यक्षा कांता महंत, जिला कुल्लू की सचिव श्यामा शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने मांगपत्र के माध्यम से मांग की है कि मिड डे मील वर्करज के लिए 6000 रुपए मासिक वेतन दिया जाए, मि डे मील वर्करज को 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए।

इसके अलावा मिड डे मील वर्करज की छंटनी न की जाए स्कूल में मिड डे मील वर्करज की नौकरी से संबंधित 25 बच्चों की
संख्या की शर्त को हटाया जाए। प्रत्येक स्कूल में कम से कम दो मिड डे मील वर्करज को रखा जाए। शिक्षा विभाग द्वारा मिड डे मील वर्करज को नियुक्ति पत्र दिया जाए। आकस्मिक अवकाश, मेडिकल अवकाश का प्रावधान किया जाए, मिड डे मील वर्करज को 4 महीने का प्रसूति अवकाश और पुरूषों को जच्चा-बच्चा देखभाल के लिए 20 दिन का अवकाश दिया जाए।

उन्होंने यह भी मांग की है कि मिड डे मील वर्करज को स्थाई कर्मचारी माना जाए व स्थाई कर्मचारी जैसी सुविधाएं दी जाए। वर्करज को दस महीने का वेतन दिया जाता है उसे साल भर का दिया जाए। उन्होंने साथ में विहार में सरकार द्वारा मिड डे मील वर्करज के ऊपर की जा रही दमनकारी कार्रवाई को रोका जाए।