हिमाचल प्रदेश में केंद्र सरकार की अनदेखी के खिलाफ हजारों मिड-डे मील और आंगनबाड़ी वर्कर्स हड़ताल पर रहेंगे। हड़ताली वर्कर्स जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन करेंगे। वर्कर्स न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी और नियमित करने की मांग कर रहे हैं। वहीं 17 जनवरी को हड़ताल से निपटने के लिए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने मिड-डे मील की व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्कूल प्रबंधन कमेटियों को भोजन का इंतजाम करने की जिम्मा सौंपा है।
केंद्र और राज्य सरकार पर कर्मियों का शोषण करने का आरोप लगाते हुए मजदूर संगठन सीटू से संबंधित मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन और आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर यूनियन ने एक दिन की हड़ताल करने का फैसला लिया है।
हड़ताली वर्करों की प्रमुख मांगे
मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन की राज्य उपाध्यक्ष हिमी देवी ने बताया कि बीते नौ वर्षों से उन्हें केवल एक हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। महंगाई कई गुणा बढ़ने के बावजूद मिड-डे मील वर्कर्स को राहत देने के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने मांग की कि मिड-डे मील वर्कर्स को प्रतिमाह 6300 रुपये वेतन दिया जाए। 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार वर्कर्स को पक्का किया जाए। उधर, आंगनबाड़ी वर्कर्स की यूनियन की राज्य अध्यक्ष खीमी भंडारी और महासचिव राजकुमारी का कहना है कि जबसे केंद्र में भाजपा की सरकार आई है,
तब से आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्परों के वेतन में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं हुई है। भाजपा ने चुनाव से पहले महिलाओं को सम्मानजनक वेतन देने की बात कही थी, लेकिन साढ़े तीन साल के कार्यकाल के बाद भी वेतन में बढ़ोतरी नहीं की गई है।