कागड़ा जिला की पौंग झील में भारी संख्या में प्रवासी पक्षियों के आने का दौर शुरू हो गया है। झील में सर्दी के इस मौसम में अब तक 1 लाख से ज्यादा पक्षी पहुंच चुके हैं। इस बार साइबेरिया से बार हेडेड गूज और कामन कूट सबसे अधिक संख्या में देखे जा रहे हैं।
इन पक्षियों पर प्रदेश का वन्य प्राणी विभाग कड़ी नजर रखे हुए है। पक्षियों पर नजर रखने और इनकी गिनती के लिए विभाग ने 15 टीमों का गठन किया है। विभाग ने झील के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इलाकों में दो बार गणना की है। 31 जनवरी को हुई गिनती में 1 लाख 8 हजार प्रवासी पक्षी यहां पहुंचे हैं। इस गणना की विस्तृत जानकारी अभी आना बाकी है।
वहीं, 16 दिसंबर को की गई गिनती के अनुसैर बार हेडेड गूज के 27139, कामन कूट के 12867, नारदन पिनटेल के 5291, कामन टील 4445, कामन पाचर्ड 4229, लिटिल कारमोरेंट 3339, रुडी शेल्डक के 1654, गैडवाल के 1188, स्पाट बिलिड डक के 948, ऑरेशियन विजयान के 594, बारन शवैलो के 425 पक्षीयों ने झील के किनारे डेरा जमा लिया है। वहीं, नार्थन शावेलर के 423, कामन मूरहन के 420, ब्लैक हेडेड गल के 387, ब्लैक विंगड स्टीलट के 371 पक्षी भी महाराणा प्रताप झील पहुंचे हैं। पर्पल मूरहन के 370, रिवर टर्न के 341, रिवर लैपविंग के 269, ग्रेट कोरमोरेंट के 268 व लिटिल ग्रेव प्रजाति के 253 पक्षी भी झील के किनारे अपने आशियाने बना चुके हैं।
हर साल उत्तरी गोलार्द्ध मे ठंड बढ़ जाने से पौंग झील में रूस, साइबेरिया, मंगोलिया, इंडो-तिब्बत सीमा, दक्षिणी चीन, सहित कई उत्तरी इलाकों से पक्षी सर्दियां बिताने भारत पहुंचते हैं। पक्षियों के प्रवास का सफर अक्तूबर में शुरू हो जाता है। भारत में वे मार्च तक रहते हैं। इनके आने से महाराणा प्रताप झील में पर्यटकों को संख्या भी बढ़ी है। पक्षियों को देखने के लिए वन्य जीव अभयारण्य के निर्मित जांच केंद्र से अनुमति लेना जरूरी है।