मोदी सरकार पर केंद्रीकरण और लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी दीपक शानन पर गौर फरमाएंगे तो यह आरोप धुंधला पड़ जाएगा। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी दीपक शानन हिमाचल सरकार के अहम कड़ी बने हुए हैं। रिटायर्ड होने के बाद भी सरकार में उनकी धाक बनी हुई है। ख्याल रहे कि पीएम मोदी की नीतियों के धुर आलोचक रहे शानन आज हिमाचल सरकार के अहम पदों पर काम कर रहे हैं।
दीपक शानन अपने बेलाग अंदाज के लिए भी जाने जाते हैं। अप्रैल 2018 में पीएम मोदी को भी इन्होंने चुनौती दे डाली थी। रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों की तरफ से लिखी चिट्ठी में उन्होंने मोदी सरकार की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े किए थे।
उन्होंने पत्र में संवैधानिक मूल्यों जिनमें डेमोक्रेटिक, सेक्युलर और लिबरल वैल्यूज के गिरते प्रभाव के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। बावजूद इसके बीजेपी के शासनकाल में शानन बेहतर पदों पर काम कर रहे हैं। जिस केंद्रीय सरकार की कार्यशैली पर उन्होंने गंभीर सवाल खड़े किए। आज उसी पार्टी की राज्य सरकार में वह अहम पद पर काम कर रहे हैं।
मोदी सरकार की आलोचना के बावजूद शानन को हिमाचल सरकार में HIPA और हाई पावर मॉनिटरिंग कमेटी का सदस्य भी नियुक्त किया गया है। अब इसे जयराम सरकार की मेहरबानी कहें या मोदी सरकार के शासन-प्रणाली का डेमोक्रेटिक रवैया। जिसके तहत उनका धुर आलोचक हिमाचल सरकार के अहम पदों कार्यरत हैं। शानन के पास हिमाचल में केंद्र सरकार की नीतियों की समीक्षा करने का दायित्व है।
अप्रैल 2018 में दीपक शानन ने बाकी रिटार्ड आईएएस अफसरों की तरफ से प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिककर ख़ास तौर पर जम्मू-कश्मीर के कठुआ और यूपी के उन्नाव केस पर गुस्सा जाहिर किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री से अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति विशेष दायित्व निभाने की सलाह दी थी। शानन और बाकी रिटायर्ड अधिकारियों ने चिट्ठी में देश में लोकतंत्र और भाईचारा पर बढ़ते ख़तरे के लिए मोदी सरकार के प्रति निराशा जाहिर की थी।