शिमला बंदरों के आतंक से एक तरफ पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के ग्रामीण खेती छोड़ने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ़ राजधानी शिमला में बंदरों का ख़ौफ़ आय दिन लोगों को डराता है। शिमला में लगातार बंदरों द्वारा लोगों पर हमला करने के मामले सामने आ रहे हैं। इसी हफ़्ते संजौली और सेंट एडवर्ड स्कूल के दो बच्चों पर हमला कर बंदरो ने बुरी तरह घायल कर दिया। जिनका ईलाज करवाया जा रहा है।
वहीं, केंद्र सरकार ने बंदरो को बुर्मिन घोषित कर मारने की भी इजाज़त तो दे दी है, लेकिन मारने को कोई तैयार नहीं है। शिमला नागरिक सभा ने बंदरो के आतंक को लेकर नगर निगम मेयर को एक ज्ञापन सौंपा ओर मांग उठाई की बंदरो को मारने का स्थाई रास्ता निकालें ताकि बंदरो के बढ़ते ख़ौफ़ से छुटकारा मिल सके। नागरिक सभा के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि शिमला में बंदर महिलाओं व बच्चों को अधिकतर अपना निशाना बना रहे है। शिमला को बंदरो से बचाने के लिए स्थाई हल की जरूरत है।
नगर निगम शिमला की मेयर कुसुम सदरेट ने भी माना कि बंदरो की शिमला में समस्या है। लेकिन बंदरों को बुर्मिन घोषित करने के बाबजूद निगम तय नही कर पाया है कि बंदर मरेगा कौन। अब अन्य जगहों की तर्ज़ पर शिमला में भी सेवानिवृत्त जवानों को बंदरो को मारने के लिए नियुक्त किया जा सकता है।
शिमला शहर मे बंदरों का आतंक इतना है कि जून माह में ही 122 बंदरों के काटने के मरीज अकेले आईजीएमसी में पहुंचे हैं। 100 से ऊपर का आंकड़ा हर माह में रहता है। वन विभाग के मुताबिक शिमला शहर में बंदरों की संख्या 2000 के करीब है। शिमला के टूटीकंडी नसबंदी केंद्र में एक अप्रैल 2018 से लेकर 31 मार्च 2019 तक 2156 बंदरों की नसबंदी की गई।