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देवभूमि हिमाचल में 25 हजार से ज्यादा गोवंश सड़कों पर बेसहारा

पी. चंद, शिमला |

हिमाचल पशुपालन विभाग द्वारा करवाए  गए सर्वे में चोंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। हिमाचल में हज़ारों की संख्या में पशुधन सड़कों पर है, जो किसानों बागवानों से लेकर वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। राज्य के हर जिला में दूध न देने की सूरत में गाय को सड़कों पर खुले में छोड़ा जा रहा है। इसके अलावा जब से खेती बोने के लिए आधुनिक उपकरणों का सहारा लिया जा रहा है। उसके बाद तो बैलों को तो कोई अपने पास बांधकर रखना ही नही चाहता है। इसलिए गायों के साथ हज़ारों बेसहारा बैल भी सड़कों पर घूम रहे हैं। सड़कों पर घूम रही गायों की बात तो सरकार से लेकर सभी संस्थाएं करती है लेकिन सड़क पर घूम रहे खतरनाक बैलों का कभी किसी ने जिक्र तक नही किया।

हिमाचल में आज जब प्राकृतिक खेती जिसको शून्य लागत खेती कहा जा रहा है, उसको लेकर खूब चर्चा हो रही है। इसको लेकर अपवाद वाला 5-17 हज़ार का अलग-अलग आंकड़ा सामने आ रहा है। जिसमें इस खेती को हिमाचल के किसानों द्वारा अपनाने का दावा किया जा रहा है। इस खेती की खासियत ये है कि इसको करने के लिए पहाड़ी गाय रखना बहुत ज़रूरी है। अब जो सर्वे का आंकड़ा सामने आ रहा है, उसमें 25 हज़ार पहाड़ी गाय सड़कों पर बेसहारा घूम रही हैं। ऐसे में ज़ीरो बजट खेती का सपना सच हो पायेगा या नहीं इस पर भी सवाल है।

हिमाचल में गायों को बचाने के बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं, लेकिन प्रदेश की स्थिति ये है कि गायों को गौसदन में रखने के लिए जगह  कम पड़ रही है। उधर, पशुपालन विभाग सड़कों में घूम रही गायों की पहचान करने के बाद भी गौसदनों में नहीं रख पा रहा है। ये स्थिति उस वक़्त है जबकि कोर्ट ने आदेश दे रखे हैं। जो गौसदन चल भी रहे हैं, उनकी दयनीय स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के पांच-छह ऐसे जिले हैं, जहां पर सबसे ज्यादा गायें सड़कों पर हैं। इसमें शिमला, सोलन, सिरमौर, कांगड़ा, बिलासपुर और हमीरपुर शामिल हैं। गौ संबर्धन बोर्ड बनने के बाद अभी पिछले सप्ताह एक बैठक हो पाई है। उसके क्या परिणाम आते हैं, उसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।