इस बार लोकसभा चुनाव में पांवटा साहिब के वार्ड नंबर 10 की जनता मतदान नहीं करेगी। नेताओं के कोरे आश्वासन और सरकार की बेरुखी से नाराज होकर स्थानीय लोगो ने मतदान न करने का सामूहिक निर्णय लिया है।
लोकसभा चुनाव में चंद दिनों का समय बाकी बचा हुआ है , राजनीतिक दल के बड़े और स्थानीय नेता अपनी-अपनी पार्टी के लिए लोगो से वोट की अपील के लिए जुटे हुए है। घर घर जाकर मतदाताओं को लुभाया जा रहा है। लेकिन नेताओं को इस बार पांवटा साहिब के वार्ड नंबर 10 से वोट नहीं मिलने वाले क्यूंकि यहां की जनता नेताओं के कोरे और झूठे आश्वासनों से तंग आ चुकी है।
दरसल पांवटा साहिब के वार्ड नंबर 10 की अनदेखी हो रही है , गत 15 वर्षो से यहाँ एक ही परिवार के सदस्य बारी बारी से नगर परिषद का चुनाव जीत कर राज कर रहे है। जनता ने जिन्हें काम के लिए चुना उन्होंने गत साढ़े तीन वर्षो से अपने वार्ड का दौरा नहीं किया है। वार्ड में गन्दगी का आलम यह है की महिलाओं और बच्चो के पांव चर्म रोग की चपेट में आ गए है और एक अज्ञात लाइलाज बिमारी से जूझ रहे है। न तो इनकी तरफ नेताओं ने ध्यान दिया और न ही प्रशासन और सरकार ने।
नेताओं और सरकार की इस बेरुखी से परेशान होकर स्थानीय लोगो ने इस बार मतदान न करने का सामूहिक निर्णय लिया है , लोगो ने अपने घरों व् गलियों में पोस्टर भी जड दिए है " विकास नहीं तो वोट नहीं " इस बार लोकसभा चुनाव का वहिष्कार करने का लोगो ने प्रण ले लिया है। क्यूंकि न तो इनके पास सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचा और न ही इनका दुःख दर्द बाँटने नेता इनके बीच आये।
वार्ड में न केवल टूटी गलियां, गंदगी से भरी नालियां समस्या बनी हुई है बल्कि यहां बिजली की तारे भी लोगो की छतों को छु रही है जिसकी चपेट में कई बार लोग आ चुके है , पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं है खासकर महिलाओं को दूर से पानी ढोना पड़ता है , स्ट्रीट लाइट लगी जरूर है लेकिन वो जलती ही नहीं , पानी की निकासी इस वार्ड की बड़ी समस्या है जिसका समाधान गत 15 से 20 वर्ष से नहीं निकल पाया है ऐसे में लोगो ने मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है। लोगो का कहना है की जब उनके काम ही नहीं हो रहे है तो वो मतदान क्यूं करें और किसके पक्ष में करें?