धर्मशाला: कृषि निदेशक कुमुद सिंह ने कहा कि शिटाके मशरूम के उत्पादन में बढ़ोतरी करने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे। क्षेत्रीय मेलों प्रदर्शनियों, शीतकालीन ग्रीष्मकालीन उत्सवों के माध्यम से शिटाके मशरूम को पहचान दिलाई जाएगी इसके साथ ही इसे लोकप्रिय बनाने के संबंध में पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकें करने का भी निर्देश दिए गए ताकि होटल कारोबारियों द्वारा अपने व्यंजनों में शिटाके को शामिल करने से शिटाके मशरूम का उपयोग कृषक समुदाय के लिए शिटाके के विपणन को बढ़ाने में मदद करेगा।
शुक्रवार को कृषि निदेशक, कुमुद सिंह, भा0 प्र0 से0 ने जाइका समर्थित हि0 प्र0 फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना के अंतर्गत स्थापित शिटाके मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण केंद्र, पालमपुर का निरीक्षण किया तथा शिटाके मशरुम व इस केन्द्र द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों की जानकारी ली। शिटाके विशेषज्ञ डॉ. सपन ठाकुर एवं डॉ. नागेन्द्र नाग ने निदेशक (कृषि), को इस बारे में विस्तृत जानकारी दी। शिटाके एक नया मशरूम है और प्रदेश के किसान इसे अपनाकर अपनी आर्थिकी मजबूत कर सकेंगे। कृषि निदेशक ने शिटाके मशरूम प्रशिक्षण केंद्र द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की।
प्रदेश कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही हि0 प्र0 फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना (जाइका समर्थित) के माध्यम से कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में शिटाके मशरूम खेती प्रशिक्षण केंद्र (एससीटीसी) स्थापित किया गया है, जिसमे 3.25 करोड़ रुपये खर्च किए गए है। जाइका परियोजना के दूसरे चरण में एससीटीसी के लिए 5.9 करोड़ रुपयों का प्रावधान रखा गया है।
परियोजना निदेशक, डा0 सुनील चैहान ने बताया कि शिटाके मशरूम दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय मशरूम में से एक है और शिटाके में मौजूद तत्व, कैंसर से लड़ने, प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए इसे लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। साथ ही खाद्य और औषधीय गुणों से भरपूर शिटाके मशरूम राज्य के किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा और जाइका द्वारा स्थापित शिटाके मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण केंद्र इस के लिए वरदान साबित होगा। इस दौरान डा0 पवन शर्मा, अतिरिक्त कृषि निदेशक (उत्तरी खंड), डा0 राहुल कटोच, कृषि उपनिदेशक कांगड़ा एवं डॉ. रजनीश शर्मा, विषयवाद विशेषज्ञ, पालमपुर भी मौजूद रहे।