मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने यहां मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को सत्तासीन हुए एक वर्ष का कार्यकाल हो गया है और इस एक वर्ष की अल्पावधि में हमारी सरकार ने जनहित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं।
हमारी सरकार ने अपने चुनावी दस्तावेज में जो गारंटियां दी थीं, उन्हें चरणबद्ध ढंग से पूरा किया जाएगा, जिसके लिए सरकार पूरी तरह वचनबद्ध है।
नरेश चौहान ने कहा कि हमारी सरकार ने ‘सरकार गांव के द्वार’ एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आरम्भ किया है। मुख्यमंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र नादौन के प्रवास पर हैं जहां से इस कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया गया है।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश सरकार के मंत्री भी जिलों के प्रवास पर हैं। कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य गांवों में जाकर लोगों के साथ संवाद स्थापित करना तथा उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा एक वर्ष के कार्यकाल में जनहित में लिए गए फैसलों की जानकारी प्रदान करना तथा लोगों से फीडबैक लेना है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के मंत्री और अधिकारी ग्राम सभाओं मेें जाकर भी लोगों से संवाद कायम करेंगे तथा उन्हें सरकार के विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रमों एवं जन कल्याणकारी नीतियों की जानकारी देंगे और साथ ही मौके पर लोगों की विभिन्न समस्याओं का निवारण भी करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि सरकार स्कूलों में गैस्ट फेकल्टी टीचर की नियुक्ति करने जा रही है जबकि प्रदेश भर में इस निर्णय का पूरा विरोध हो रहा है, नरेश चौहान ने कहा कि यह सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था है, लेकिन शिक्षित बेरोजगार युवाओं को घबराने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूलों में गैस्ट फेकल्टी टीचर की सेवाएं ली जाएंगी क्योंकि शिक्षा विभाग में एक साल में 10 हजार के करीब तबादले होते हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और इसके लिए मेधावी छात्रों को गैस्ट फेकल्टी के तौर पर रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग इस निर्णय पर बेवजह हो-हल्ला कर रहे हैं जबकि यह एक अस्थाई व्यवस्था है ताकि जहां एक ओर बच्चों को उनके घर-द्वार पर शिक्षा उपलब्ध होगी, वहीं बेरोजगार युवाओं को अस्थाई रोजगार की भी व्यवस्था होगी।
प्रदेश की बेहतर आर्थिक स्थिति तथा व्यवस्था परिवर्तन बारे पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मीडिया सलाहकार ने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार से हमारी सरकार को करोड़ों रूपये का कर्ज और देनदारियां मिलीं जिन्हें व्यवस्थित करने के लिए सरकार युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा 14500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया और वर्तमान सरकार के सत्ता सम्भालते ही पुरानी पेंशन बहाल करने के बाद केन्द्र सरकार द्वारा कर्ज लेने की सीमा को 14500 करोड़ रुपये से घटाकर 6600 करोड़ रुपये कर दिया गया जो इस प्रदेश के साथ सरासर बेइन्साफी है।
इससे साबित होता है कि भारत सरकार की मंशा क्या है। पूर्व सरकार कर्जे पर कर्जा लेती रही और उस पर कोई बंदिश नहीं थी लेकिन सरकार बदलते ही कर्ज की सीमा को कम कर दिया गया। यहां तक कि एशियन बैंक, विश्व बैंक ब्रिक्स बैंक की भी कैपिंग कर दी ताकि 2700 करोड़ रूपये का कर्ज केवल तीन साल में ही लिया जा सके।
मीडिया सलाहकार ने कहा कि वर्तमान सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश सरकार द्वारा राज्य की अर्थ व्यवस्था को बेहतर करने प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा की गई शराब के ठेकों की नीलामी से 600 करोड़ रुपये का राजस्व बढ़ा है।
हमारी सरकार सैस की लड़ाई लड़ रही है और यह एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला है जिस बारे विगत 75 सालों में किसी भी सरकार ने नहीं सोचा।
नरेश चौहान ने आरोप लगाया कि पिछली बरसात में हिमाचल में इतनी बड़ी आपदा आई और प्रदेश को 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ लेकिन विपक्ष के लोगों ने सरकार का साथ देने की बजाए ऐसे संकट के समय भी ओछी राजनीति की जिससे उनका दोहरा चरित्र लोगों के सामने आ गया। प्रदेश को हुए नुकसान के सारे दस्तावेज भी केन्द्र सरकार को सौंप दिए लेकिन उसके बावजूद इस प्रदेश के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जब जी.एस.टी. का हमारा शेयर केन्द्र सरकार को जाता है उसके एवज में हमें मदद मिलनी चाहिए। उन्होेंने पूछा कि क्या यही स्वस्थ लोकतंत्र की परिपाटी है कि हमें हमारे वाजिब हकों से भी वंचित किया जा रहा है। केन्द्र सरकार से उचित मदद न मिलने के बावजूद हमारी सरकार लोगों को राहत पहुंचाने में पीछे नहीं है।
नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री हिमाचल के हितों के लिए केन्द्र सरकार से जो लड़ाई लड़ रहे हैं, उसे हम लोगों के बीच ले जाएंगे ताकि प्रदेश के लोगों को भी इस बात की जानकारी हो कि हमारी सरकार आर्थिक बदहाली की किन परिस्थितियों से गुजर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में डबल इंजन की सरकार का दावा करने वाली सरकार की वित्तीय कुव्यवस्था के कारण ही आज प्रदेश आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।
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