राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने शिमला के ग्रीन, कोर और फॉरेस्ट एरिया में किए गए अवैध निर्माणों को नियमित करने आैर नए निर्माण पर रोक लगा दी है। प्राधिकरण ने प्रदेश में नगर नियोजन सीमा के भीतर अधिकतम दो मंज़िल तक के भवन बनाने की बाध्यता रखी है।
प्राधिकरण ने अभी तक हुए अवैध निर्माण को गिराने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। प्रदेश के अन्य भागों में हर तरह के अवैध निर्माणों को नियमित करने पर प्रतिबंध लगाते हुए साफ किया कि यदि किसी ने शिमला के कोर, ग्रीन व फॉरेस्ट एरिया से बाहर अवैध निर्माण को नियमित करने का आवेदन 13 नवंबर से पहले कर रखा है तो ही वह नियमित हो सकेगा।
इसके लिए नियमितकरण शुल्क के साथ 5000 प्रति वर्ग फुट आैर व्यवसायिक भवन के अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए 10000 प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पर्यावरण मुआवजा देना होगा। यह शुल्क अन्य प्रकार के शुल्क से अलग होगा। प्रदेश में 13 नवंबर के पश्चात किए किसी भी अनाधिकृत निर्माण को नियमित नहीं किया जाएगा। यह निर्माण तभी नियमित होंगे जब वह यह फीस अदा करेंगे आैर अन्य मापदंडों को पूरा करेंगे।