नगर परिषद मंडी में ठोस कूड़ा-कचरा प्रबंधन की कोई व्यवस्था न होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाई है। ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नगर परिषद मंडी की तरफ से दी गई संशोधित डीपीआर को दो सप्ताह के अंदर मंजूर करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी।
'मंडी बचाओ' संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष लक्ष्मेंद्र ने नगर परिषद द्वारा ठोस कूड़ा-कचरा प्रबंधन को लेकर बरती जा रही कोताही का मामला ट्रिब्यूनल के समक्ष उठाया था। ठोस कूड़ा-कचरा प्रबंधन के लिए जिला में मात्र दो डंपिग साइट्स हैं। एक साइट मंडी के बद्रावणी और दूसरी सुंदरनगर के चांदपुर में है। दोनों साइट्स कूड़े-कचरे से पूरी तरह भर चुकी हैं। बद्रावणी की साइट से होने वाला रिसाव साथ लगती ब्यास नदी में जाकर मिल रहा है। ब्यास और सुकेती खड्ड के किनारे कई पेयजल योजनाएं हैं। इससे लोगों को दूषित पेयजल पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
मंडी जिला में 7 शहरी निकाय हैं। इसमें 4 नगर परिषद और 3 नगर पंचायत हैं। शहरी निकायों से रोजाना 50 टन से अधिक ठोस कूड़ा-कचरा निकलता है। किसी भी शहरी निकाय के पास कूड़ा-कचरा प्रबंधन संयंत्र नहीं है। ट्रिब्यूनल ने नगर परिषद मंडी और जिला प्रशासन को डंपिग साइट और संयंत्र के लिए उचित स्थान तलाश करने के निर्देश दिए थे। नगर परिषद ने 4 जगह चिह्नित कर डीपीआर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मंजूरी के लिए भेजी थी। लेकिन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कई आपत्तियां लगाकर डीपीआर को मंजूरी देने से मना कर दिया था।