<p>ये अंधविश्वास है या प्राचीन समय से चली आ रही रस्म, जिसका निर्वाह आज भी लोग कर रहे है। आज शनिवार और कल रविवार दो दिन शिमला, सोलन व सिरमौर तीन जिलों के लोग डगैली यानी कि चुड़ैल के डर के साए में जीते है। इन बुरी आत्माओं से निबटने के लिए इन जिलों में तैयारियां पहले ही कर ली गई है। </p>
<p>वहीं पुरोहित और आसपास के मंदिरों के पुजारी लोगों के घरों में सरसों के दाने पहुंचा रहे हैं। मान्यता है कि बुरी आत्माओं और भूत प्रेतों के असर से बचने के लिए ये इंतजाम किए जा रहे हैं। प्रदेश के तीन जिलों के 10 विधानसभा हलकों में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के जौनसार भाबर तक में इन दोनों रातों में बुरी आत्माओं से बचने के लिए डगैली यानी चुड़ैल से बचने के पूरे प्रबंध किए जाते हैं।</p>
<p>भाद्र मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी व इससे एक दिन पहले यानी कि आज छोटी और कल रविवार को बड़ी डगैली आ रही है। इसे अघाेरा चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन शिव के गण यानी भूत प्रेतों और बुरी आत्माओं का प्रभाव ज्यादा होता है। शिमला, सोलन, सिरमौर के अलावा उत्तराखंड में भी इन दोनों दिनों की मान्यता है। इस दिन को डवांस भी कहते है।</p>
<p>माना जाता है कि डगैली की रात बुरी आत्माएं पूरी तरह सक्रिय होती हैं। जिससे दुष्प्रभाव का ज़्यादा ख़तरा रहता है। दोनों दिन दरवाजे पर टिंबर के पत्ते दरवाजों पर लगाते है। जिससे बुरी आत्माओं के घर मे प्रवेश को रोकने का दावा किया जाता है। इसके अलावा भी कई तन्त्र टोटके लोग बुरी आत्माओं से बचने के लिए करते है। इसके अलावा पुरोहित भी सुरक्षा यन्त्र देते है।</p>
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