सरकारी भूमि कब्जाने वालों से जमीन के बदले जमीन लेने के सुझाव पर सरकार ने संज्ञान लिया है। सीएम कार्यालय ने मामले की जांच कर रिपोर्ट भेजने के आदेश राजस्व विभाग को जारी किए हैं। सीएम कार्यालय द्वारा राजस्व विभाग को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि गददी नेता मनोज कुमार को भी भेजी गई है। ऐसे में अब महासभा को उसके सुझाव पर कार्रवाई होने की उम्मीद जगी है। महासभा के प्रधान मनोज कुमार ने अगस्त माह में सीएम जयराम ठाकुर को लिखे पत्र में सुझाव दिया था कि अपनी भूमि होने के बावजूद, सरकारी भूमि कब्जाने वालों से जमीन के बदले जमीन ली जाए तथा उनसे ली गई जमीन पर भूमिहीनों को एडजस्ट किया जाए।
महासभा के प्रधान ने पत्र में कहा था कि अपनी भूमि होने के बावजूद जिन लोगों ने जाने-अनजाने सरकारी भूमि पर कब्जा किया हुआ है, उनसे जमीन के बदले जमीन लेकर, जिनके पास जमीन नहीं है, उन भूमिहीनों को भूमि उपलब्ध करवाने की सरकार ने पहले ही नीति बना रखी है। मनोज कुमार ने सुझाव दिया था कि जमीन के बदले ली जाने वाली जमीन पर भूमिहीनों को एडजस्ट किया जाए, जिससे सरकार द्वारा हर वर्ष गृह अनुदान के लिए दी जाने वाली राशि की बचत हो सके तथा सरकारी भूमि पर कब्जा जमाए बैठे लोगों को भी उजडऩे से बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि पूर्व में ग्रामीण जिसका चन्ना, उसका बन्ना की कहावत पर चलते थे और जाने-अनजाने, अनपढ़ता व कानून की जानकारी न होने की वजह से कई लोगों ने अपनी जमीन होने के बावजूद साथ लगती सरकारी जमीन पर घर बना लिए। उस समय भी सरकार की ओर से लोगों को खेतीबाड़ी और आजीविका कमाने के लिए भूमि दी जाती थी। यही कारण है कि संबंधित विभाग भी लोगों को अवैध कब्जों और निर्माण बारे जागरूक नहीं कर पाए और न ही उन पर सख्ती बरती गई, जिसका खामियाजा आज वर्तमान पीढ़ी भुगत रही है। इसी के चलते उन्होंने अपनी भूमि होने के बावजूद सरकारी भूमि कब्जाने वालों से जमीन के बदले जमीन लेकर भूमिहीनों को एडजस्ट करने की सरकार से मांग की है।