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केसीसी बैंक में 900 करोड़ तक पहुंचा एनपीए, 2 सालों में नहीं हुआ 16 निदेशकों का चुनाव

नवनीत बत्ता |

ये कम हैरानी की बात नहीं लगती कि कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (KCC) सीमित में निर्वाचित होने वाले 16 निदेशकों के बिना ही कई अहम फैसले लिए जा रहे हैं। हालांकि बैंक प्रशासन नोमिनेटड निदेशकों को ही अपने आप में किसी भी निर्णय लेने को सक्षम बोर्ड मानता है, लेकिन करोड़ों का लोन एवं जीवन रेखा को पार कर चुका 900 करोड़ का एनपीए पिछले दो सालों से संभवत प्रश्न ही खड़े करता नजर आ रहा है।

यही नहीं कार्य क्षेत्र से बाहर के मंडी निवासी को करोड़ों का लोन देना भी चर्चा में आ गया है। चर्चा में आए इस लोन को लेकर बैंक एरिया ऑफ आप्रेशन का दावा कर रहा है। बतातें चलें कि केसीसी बैंक की प्रदेश में हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, कुल्लू एवं लाहौल-स्पीति में करीब 205 शाखाऐं काम कर रही हैं। बैंक की सारी प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए चेयरमैन, एमडी से लेकर नोमिनेटड एवं निर्वाचित निदेशक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के रूप में कार्य करते हैं।

हर सरकार में इस बोर्ड ऑफ डायरेक्टरस के चुनाव और तीन निदेशक सरकार की ओर से नोमिनेटड किए जाते हैं। इस बार प्रदेश में एक बार फिर से सरकार बदली और अप्रैल 2018 में बोर्ड ऑफ डायरेक्टरस को भंग कर दिया गया। तब से लेकर अब तक इन डायरेक्टरस का चुनाव नहीं हो पाया है। केसीसी बैंक के कार्य को चलाने के लिए तीन नोमिनेटड डायरेक्टरस का चुनाव अवश्य किया जा चुका है, लेकिन अन्य 16 डायरेक्टर के पद और चुनाव अभी तक नहीं हो पाया है। यही वजह है कि बिना 16 डायरेक्टरस के ही करोड़ों के लोन देने एवं अन्य कार्यों में महत्वपूर्ण निर्णयों का होना चर्चा में आ गया है।

900 करोड़ का नॉन प्रोफिट एसैट, बाहरी क्षेत्र के व्यक्ति को लोन देना भी चर्चा में

बैंक का इस समय तक 900 करोड़ का ऐसा लोन है जो अब नॉन प्रोफिट एसैट में आ चुका है। यानी जीवन रेखा को ये एनपीए पार कर चुका है, जबकि करीब 45 करोड़ का लोन दिया जा चुका है। इसके अलावा जिस जिला में बैंक की कोई शाखा नहीं है, उसी जिला के निवासी को भी दिया गया लोन भी चर्चा में आ गया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस व्यक्ति को ये लोन दिया गया उसकी शुरूआत कांग्रेस सरकार के समय से ही हुई है। जिस जमीन पर लोन दिया गया पहले उसे खरीदने के लिए लोन दिया गया। उसके बाद उस पर काम करने के लिए अतिरिक्त लोन भी दिया गया। अब चर्चा इस बात की है कि वर्तमान में उसी व्यक्ति को करोड़ों का अतिरिक्त लोन दे दिया गया है। ये व्यक्ति मंडी का निवासी है, लेकिन इसने काम करने का क्षेत्र मनाली को चुना है। बैंक अधिकारियों की माने तो बैंक लोन देने के लिए एरिया ऑफ आप्रेशन को चुनता है।

यदि नोमिनेटड डायरेक्टर ही कंपलीट बोर्ड तो 16 का निर्वाचन क्यों?
 
बैंक में ही ये चर्चा चल पड़ी है कि यदि सरकार द्वारा नोमिनेटड डायरेक्टर ही कंपलीट बोर्ड है तो अन्य 16 डायरेक्टरस का चुनाव क्यों करवाया जाए। इस चुनाव प्रक्रिया में जहां लाखों खर्च होते है, वहीं बाद में उन पर भी बैंक लाखों रूपए खर्च करता है। नोमिनेटड डायरेक्टरस में बैंक के चेयरमैन भी है। बैंक के चेयरमैन राजीव भारद्धाज ने बताया कि बाहरी जिला से भी व्यक्ति बैंक से लोन लेने के लिए एप्लाई कर सकता है, बशर्तें कि उसकी फारमल्टी पूरी होनी चाहिए।