हिमाचल में हिम तेंदुएं की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है। प्रदेश में स्नो लैपर्ड की संख्या 100 के पार हो गई है। हिम तेंदुएं पहाड़ी प्रदेश के बर्फ़ीले इलाकों में पाए जाते हैं। इसी तरह सामान्य लैपर्ड की संख्या भी बढ़ी है। वर्तमान में प्रदेश में 761 सामान्य तेंदुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक तीन-चार वर्षों से इनकी संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है, जबकि प्रदेश के चिड़ियाघरों में तीन दर्जन टाइगर हैं। पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि होना शुभ संकेत माना जा रहा है।
हिम तेंदुआ एक बड़ी बिल्ली के आकार का दिखता है जो मध्य और दक्षिण एशिया के पहाड़ी क्षेत्र में पाया जाता है। यह आईयूसीएन की लाल सूची में विलुप्तप्राय प्रजातियों में सूचिबद्ध है। हिम तेंदुए मध्य एशिया के पहाड़ों में 9,800 और 17,000 फीट की उंचाई पर पाए जाते हैं। ये अफगानिस्तान से कजाकिस्तान, रूस, उत्तर में भारत और पूर्व में चीन तक पाए जाते हैं। हिमाचल के स्पिति और किन्नौर में भी हिम तेंदुआ पाया जाता है। हिम तेंदुएं का शिकार करने पर प्रतिबंध है।
हिम तेंदुआ अपने से तीन गुना अधिक वजन वाले पशुओं का शिकारी कर सकते हैं। हिम तेंदुए खड़ी चट्टान क्षेत्रों और कंदराओं में निवास करना पसंद करते हैं। ये अपने शिकार का छिप कर इंतजार करते हैं और आमतौर पर 20- 50 फीट की दूरी से हमला करते हैं। हिम तेंदुआ 30 फीट की दूरी तक छलांग लगा सकता हैं। यह दूरी इनके शरीर की लंबाई के छह गुणा अधिक है। परंपरागत चीनी दवाओं में इनके शरीर के अंगों का इस्तेमाल होता है। इसलिए अवैध रूप से इनका शिकार कर व्यापार किया जाता है। इसी वजह से इन तेंदुओं की संख्या तेजी से कम होती रही।
हिमाचल में विलुप्तप्राय पशु पक्षियों की प्रजातियां हाल ही में नज़र आई है। सिरों और कस्तूरी मृग भी स्पीति में देखे गए हैं। हिम तेंदुआ भी ऐसी प्रजातियों में से एक है। वन मंत्री राकेश पठानिया का कहना है कि ये पशु पक्षी हिमाचल की पहचान है। इनके संरक्षण व संवर्धन के लिए विभाग पूरी तरह कटिबद्ध है। विभाग जहां विलुप्तप्राय पशु पक्षियों के संरक्षण के लिए काम कर रहा है तो वहीं अन्य पशु पक्षियों की प्रजातियों को बचाने में लगा हुआ है। जिसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।